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सूत्र ७०५
वनावि (प्राकारावि) शम्म श्रवण के प्रायश्चितंत्र
धारित्राचार
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बप्पाइसु-सहसवणासत्तिए पायच्छित सुताई- वनादि (प्राकारादि) शब्द श्रवण के प्रायश्चित्त सूत्र७०५. जे भिक्खू, १. वत्पाणि या, २. फलिहाण या, ३. उप- ७०५. जो भिक्षु (१) प्राकार, (२) खाई, (३) उत्पल, (४)
सापि वा, ४. पल्ललाणि वा, ५. उज्ज्ञराणि वा, ६. णिज्न- पल्लव, (५) धोध, (६) मरना, (७) वापी, (८) पुष्करिणी, रागि वा, ७. बाबीणि बा, ८, पोक्खरागि वा, ६.बीहि- (९) लम्बी बावड़ी, (१०) गम्भीर और टेढ़ी-मेढ़ी जल वापिकाएं यागी वा. [१०. गंजानियाणी वा.] ११. साराणि वा. [(११) सरोवर (बिना खोदे बना हुआ तालाब), (१२) सरोवर १२. सर-पतियाणि वा, १३. सर-सर-पंतियाणि वा कण्ण- की पंक्ति और (१३) सरोवरों की पंक्तियों से आने वाले शब्दों सोय-पडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेतं का साइज्जइ। को सुनने के संकल से जाता है, जाने के लिए कहता है, जाने
वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्खू १. कच्छाणि वा, २, गहणाणि वा, ३. गूमाणि जो भिक्षु (१) कच्छ, (२) जंगल, (३) झाड़ी, (४) गहन वा, ४. वणाणि वा, ५. वण-विदुग्गाणि वा, ६. परत्रयाणि वन, (५) बन (में) दुर्ग, (६) पर्वत, (७) पर्वत दुर्ग से आने वाले वा, ७. पन्वय बिमागि वा कपणसोय-पडियाए अभिसंधारेइ शब्दों को सुनने के संकल्प से आता है, जाने के लिए कहता है, अभिसंधारतं वा माइज्जइ।
जाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू १. गामाणि वा, २. गगराणि वा, ३. खेडाणि जो भिक्ष (१) ग्राम, (२) नगर, () खेड़ा, (४) कुनगर, वा, ४. करवाणि डा, ५, महंवाणि वा, ६. शेणमुहाणि (५) मडंब, (६) द्रोणमुख, (७) पट्टण, (८) आगर (सदाने). था. ७. पट्टणाणि वा, ८. आगराणि वा, ६. संवाहाणि वा, (६) डाणी. (१०) सन्निवेश से आने वाले शब्दों को सुनने के १० सणिवेसाणि वा कण्णसोय-पष्टियाए अभिसंधारेइ अभि- संकल्प से जाता है. जाने के लिए कहता है जाने वाले का अनुसंधारत वा साइज्ज ।
मोदन करता है। ने मिक्लू १. गाम-महाणि वा, २. णगर-महागि या, ३. खेड- जो भिक्षु (१) ग्राम उत्सन, (२) नगर उत्सव, (३) खेड़ा महागि वा ४. कन्नड-महाणि बा, ५ मांच-महाणि वा, उत्सव, (४) कुनगर उत्सव, (५) मडंव उत्सव, (६) द्रोणमुख ६. दोगमुह-महाणि वा, ७. पट्टण-महाणि था, ८. आगार- उत्सत्र. (७) पट्टण उत्सव. (0) आगर उत्सव, (९) ढाणी उत्सब महाणि वा, ६. संबाह-महाणि या, १०. सग्गिवेस महाणि (१०) सन्निवेश उत्सव से आने वाले शब्दों को सुनने के संकल्प मा कण्णसोष-पशियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारतं वा से जाता है, जाने के लिए कहता है, जाने वाले का अनुमोदन साइम्जा ।
करता है। जे भिक्खू गाम-वहाणि वा-गाव-सण्यियेस-वहाणि वा कण्ण- जो भिक्षु ग्रामवध -यावत्स न्निवेशवध से आने वाले सोम-पडियाए अभिसंधारे अभिसंधारतं वा साइजा। शब्दों को सुनने के संकल्प से जाता है, जाने के लिए कहता है,
जाने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्खू गाम-वहाणि वा-जाव-सण्णिवेस-वहाणि वा कण- (जो भिक्षु ग्रामदाह-यावत–सन्निवेशदाह से आने झाले सोय-पडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेत वा साइज्जद। शब्दों को सुनने के लिए जाता है, जाने के लिए कहता है, जाने
वाले का अनुमोदन करता है।) ने मिक्खू गाम-पहाणि वा-जाव-सणिवेस-पहाणि वा कण- जो भिक्षु ग्राम पर यावत्-सनिवेश पथ से आने वाले सोय-पडियाए अभिसंवारेइ अभिसंधारेतं वा साइज्जइ। शब्दों को सुनने के संकल्प से जाता है, जाने के लिए कहता है,
जाने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्खू १. आस-करगाणि वा, २. हस्थि-करणाणि वा, जो भिक्षु (१) घोड़ा, (२) हाथी, (३) ऊँट, (४) बेल, ३. उट्ट-करणाणि वा, ४. गोण-करणाणि था, ५. महिस- (५) भंसा, (६) शूकर के शब्दों को सुनने के संकल्प से जाता है, करणाणि वा, ६. सूकर-करणाणि वा कण्णसोप-पडियाए जाने के लिए कहता है जाने वाले का अनुमोदन करता है। मभिसंधारेर अभिसंधारतं यश साहजह। जे भिक्खू १. हय-जुहाणि वा, २. गय जुखाणि वा, ३. उट्ट- जो भिक्षु (१) पोड़ों का युद्ध, (२) हाथियों का युद्ध, जुवापि था, ४. गोग-जुखाणि वा, ५. महिस-जुताणि वा, (5) जटों का युद्ध, (4) बैलों का युद्ध, (५) भैसों का युद्ध, [मेंत-जुखागि वा. कुक्कुड-जुवाणि वा, तित्तिर-शुवाणि वा, (गौंडा युद्ध, कुनकुट युद्ध, तिसर युद्ध, बतक युद्ध, लावक (पक्षी.