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शध्यातर के अंश युक्त आहार ग्रहण का विधि निषेध
चारित्राचार : एषणा समिति
सागारिय अंसजुत्त आहारगहणास विहि-णिसेहो- शय्यातर के अंशयुक्त आहार ग्रहण का विधि-निषेध५० सागारियस्स अंसियाओ
१०. सागरिक तथा अन्य व्यक्तियों के लिए संयुक्त निष्पन्न
भोजन में से) सागारिक का अंश (विभाग) यदि१. अविभत्ताओ,
(१) अविभक्त-(विभाग निश्चित नहीं किया गया हो।) २. अवोच्छिन्नाओ,
(२) अव्यवच्छिन्न-(विभाग न किया गया हो।) ३. अव्योगडाओ,
(३) अव्याकृत-निर्धारित कर बलग न किया गया हो।) ४. अनिढाओ।
(४) अनियूंढ-(विभाग बाहर निकाला गया हो) तम्हा दावए, नो से कच्पद पजिग्गाहित्तए।
ऐसे आहार में से साधु को कोई दे तो लेना नहीं कल्पता है । सागारियस्स अंसियाओ विमत्ताओ, बोन्छिनाओ, योगाओ, किन्तु सागारिक के अंश युक्त महारादि का यदिनिज्जूढाओ,
(१) विभाग निश्चित हो, (२) विभाग कर दिवा हो, (३) उसे अलग कर दिया हो,
(४) विभाग बाहर निकाला गया हो, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिपाहेत्तए।
शेष आहार में से साधु को कोई दे तो लेना कल्पता है । -प्प.व.२, सु. २३-२४ पूयाभत्तस्स गहणस्स विहि-णिसेहो
पूज्य पुरुषों के आहार के ग्रहण करने के विधि-निषेध५१. सामारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए, इए, पाहुखियाए ५१. सागारिक ने अपने पूज्य पुरुषो को भेंट देने के उद्देश्य से सागारियस्स उवगरणजाए निहिए, निसळे, पाडिहारिए, जो आहार अपने उपकरणों में बनाया है और उन्हें प्रातिहारिक
दिया है। तं सागारिओ वेज्जा. सागारिपस्स परिजणो बेग्जा, तम्हाउस आहार में से यदि सागारिक या उसके परिजन दें तो बराबए, नो से कप्पइ पडिग्याहेत्तए।
साधु को लेना नहीं कल्पता है । सागारियस्त पूयाभत्ते उद्देसिए, चेकए, पाहुजियाए, सागारि- सागारिक ने अपने पूज्य पुरुषों को भेंट देने के उद्देश्य से यस्स सवगरणजाए मिहिए, निसट्टै पामिहारिए। जो आहार अपने उपकरणों में बनाया है और उन्हें प्रातिहारिक
दिया है। तंनो सागारियो वेज्जा, नो सामारियस्स परिजणो बेज्जा, उस आहार में से न रागारिक दे और न सागारिक के परिसागारियरस पूया वेज्जा, तम्हा दायए, नो से कप्पह जन दें किन्तु सागारिक के पूज्य पुरुष दें तो भी साध को लेना पडिग्गाहित्तए।
नहीं कल्पता है। सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए, चेइए पाहुडियाए,
सागारिक ने अपने पूज्य पुरुषों को भेंट देने के उद्देश्य से सागारियस्स उवगरणजाए निदिए निसठे अपाबिहारिए। जो आहार अपने उपकरणों में बनवाया है और उन्हें अप्रातिहारिक
दिया है। तं सागारिओ देश, सागारिअस परिजको वेइ । तम्हा वावए, यदि उस आहार में से सागारिक या उसके परिजन दें तो नो से कप्पा पडिग्गाहितए ।
साधु को लेना नहीं कल्पता है। सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए-चेइए पाहुडियाए,
सागारिक ने अपने पूज्य पुरुषों को भेंट देने के लिए जो सागारियस्स उबगरणजाए णिदिए, निसट्टे, अपारिहारिए। आहार अपने उपकरणों में बनवाया है और उन्हें अप्रातिहारिक
दिया है। तं नो सागारिओ देइ, नो सागारियस परिजगो वो, सागा- उस आहार में से न सागारिक दे और न सागारिक के रियरस पूया देइ, तम्हा दावए, एवं से कप्पड़ पडिगाहेस्सए। परिजन दें किन्तु सागारिक के पूज्य पुरुष दें तो लेना कल्पता है।
-कृप्प, उ. २, सु. २५.२८