________________
१३८
परमानमोग
निम्ध-निन्थियों के लिए अकरूय उपाश्रय
कीयं, पाभिवं, अच्छेज्ज, अणिसटु, अमिहर आहटु खरीदा गया है, उधार लिया गया है. छीना गया है, स्वामी की तेति।
अनुमति के बिना लिया गया है या अन्य स्थान से लामा
गया है। तहप्पमारे उपस्सए पुरिसंतरको बा, अपुरिसंतरकडे वा ऐसा उपाश्रय चाहे वह अन्य पुरुष को दिया हो या न दिया बहियागीहडे या, अगीहो बा, अत्तट्टिए वा, अगत्तट्टिए वा. हो. बाहर निकाला गया हो या न निकाला गया हो, स्वीकृत हो परिभुत्ते वा, अपरिभुत्ते वा, आसेविते या, लगासेविने वा, या अस्वीकृत हो, परिभुक्त हो या अपरिभुक्त अथवा आसेवित हो जी ठाणं मा, सेज वा, णिमीहियं वा चेतेजा। या अनासेरित हो उसमें स्थान, गम्या एवं स्वाध्याय न करे। एवं बहवे साहम्मिया, एनं साहम्मिणि, बहवे सराहम्मिणीओ। जैसे एक साधर्मिक साधु का कहा से ही बहुत से गार्मिक ----आ. गु. २, अ. २, उ. १. सु. ४१३ साधुओं एक साधभिगी साध्वी, बहुत-सी सामिगी साध्वियों
का भी समझना चाहिए। से मिक्खू वा भिक्खूणी वा से ज्ज पुष उअस्सयं जाणेना- भिक्षु या भिक्षणी यदि ऐसा उपाश्रय जाने, जो बहुतके बहने समण-जाब-वणीमए पगणिय-पणिय समुद्दिस पाणाई श्रमणों यावत् --भिखारियो को गिन-गिन कर उनके चहं श्य जाव-सत्ताह समारम्र-जाव-अभिहर आहटु चेतेति सेप्राणी--यावत्-सत्वों का समारम्भ करक-पावत्--अन्य सहापगारे उबस्सए पुरिसंतरको या, अपरिसंतर कडे वा स्थान से लाकर दे तो ऐसा (उपाश्रय) पुरुषांतरकृत हो अथवा -जाय-अणासेविते गो ठाणं ला, सेनं वा, णिसोहियं वा, पुरुषान्तरकृत न हो-यावत् -अनासेवित हो तो उसमें स्थान, चैतेजा। -आ. मु. २. अ. १. उ.१, सु. ४१४ शय्या एवं स्वाध्याय न करे। से मिक्लू वा भिक्खूणी वा से ज्जं पुण उवस्मयं जाणेज्जा- भिक्षु यः भिक्षुणी ऐसा उपाश्रय जाने कि - जो स्त्रियो से, सइस्थिय, समुदळ, सपसुभत्तपाणं । तहप्यगारे सागारिए बालकों से, पशुओं से तथा खाने पीने योग्य पदार्थों से युक्त हो उबस्सए णो ठाणं वा, सेज वा, णिसीहिम वा. चैतेजा। ऐसे सागारिक के उराश्रय में स्थान, शम्या एवं स्वाध्याय न
__ --आ. सु २, अ. २, उ. १, सु. ४२० करे। आपागमेयं भिक्खुस्स गाहावतिकुलेण सद्धि संवसमाणस्स, माधु का गृहपतिकुल के साथ (एक ही मकान में) निवास
कर्मबन्ध का उपादान कारण है। अससगे वा, विमूहया वा, छाती गाणं उत्साहज्जा, गृहस्व परिवार के साथ निवास करते हुए माधु के हाप,
पर, आदि का कदानित स्तम्भन हो जाए अथवा सूजन हो पाए,
विशूचिका या वमन की व्याधि हो जाए, अण्णतरे वा से बुक्से रोगात के समुप्पज्जेज्जा ।
अथवा अन्य कोई दुख या रोगातक पैदा हो जाए। अस्संजते कसुणपटियाए तं भिक्खुस्स गातं तेल्सेप वा, घएक ऐसी स्थिति में वह गृहस्थ करुणा भाव से प्ररित होकर उस बा, बसाए वा, णवणीएण वा. अभयेज्ज वा, मक्खेज्ज वा, भिक्षु के शरीर पर तेल, घी, वसा अथवा नवनीत से मालिश सिणारेण वा, भक्केण वा, लोदेण वा, चष्णेण या, चुण्णण करेगा अथवा सिणाप - सुगंधित दव्य समुदाय, कल्क, लोध, वर्णक, वा, पउमेण था, आघंसेज्ज दश, पसेज वा, उय्वलेज वा, चूर्ग, या पद्म से एक बार घिसेगा, जोर से थिसेगा, शरीर पर उपज वा, सीओदगवियडेण वा, उसिणोदगवियडेण वा, लेप करेगा, अथवा शरीर का मैल दूर करने के लिए उबटन उन्छोलेज बा, पहोएज्ज वा, सिणावेज्ज वा, सिचेज्ज वा, करेगा । अथवा प्रासुक शीतल जल से या उष्ण जस से एक बार राणा वा, वामपरिणाम कटु अगणिकायं उज्जालेन्ज वा, घोएगा या बार-बार घएगा, मल-मलकर नहाएगा, अथवा पज्जालेज वा. उजालेता, पज्जालेत्ता, काय आतावेज मस्तक आदि पर पानी छोटेगा, अभया अरणी की लकड़ी को वा, पयावे वा।
परस्पर रगड़ कर अग्नि उज्वलित-प्रज्वलित करेगा। अग्नि को सुलगाकर और अधिक प्रज्वलित करके साधु के शरीर को थोड़ा पा अधिक तपाएगा।