Book Title: Charananuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 721
________________ सूत्र २२१-२२३ भिक्ष की चादर सिलाने का प्रायश्चित्त सूत्र चारित्राचार : एषणा समिति [६८९ जे भिक्खू सण-कप्पासाओ बा, जषण-कपास ओ वा, पोंड- जो भिक्षु सन, ऊन, पोण्ड (रुई) या अभिल के कपास को कप्पासाओ या, अमिलकप्पासाओ वा, दोहसुत्ताई करे, कातकर सूत बनाता है, बनवाता है या बनाने वाले का अनुमोदन करेंतं वा साइज्जद। करता है। त सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारट्ठाणं उग्घाजय। उसे मासिक उद्घारिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) बाता है। -नि. उ. ५, सु. १२, २४ । भिक्खुस्स संघाडो सिवावण पायच्छित्त सुत्तं- भिक्षु की चादर सिलवाने का प्रायश्चित्त सूत्र२२२. जे भिक्षु अप्पणो संघाडि अण्णास्थिएण वा, गारस्थिएण २२. जो भिक्ष अपनी संघाटि (ओढ़ने की चादर) को अन्यवा सिध्याबद्द, सिब्वायत वा साइज्जइ । तीथिक या गृहस्थ से सिलवाता है या सिलवाने वाले का अनु मोदन करता है। त सेवमाणे आवजह मासियं परिहारहाणं उग्धाइयं । उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) आता है। -.नि. उ १, सु. १२ वस्थपरिकम्म पायच्छित्त सुत्ताई वस्त्र परिकर्म के प्रायश्चित सूत्र२२३. जे भिक्खू वत्थस्स एग पडियाणियं देह, देतं श साइज्जद्द। २२३. जो मिक्ष वस्त्र के एक थेगली देता है. दिलवाता है या देने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू वरथस्स परं तिण्ह परियाणियाणं देइ, देंतं वा जो भिक्ष वस्त्र के तीन गलियों से अधिक थेगले देता है, साइज्जई। दिलवाता हे या देने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू अविहीए यत्य सिवइ, सिम्वतं वा साइज्जइ। जो भिक्षु अविधि से (वन को) सीता है, सिलबाता है या मीने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक् वत्थस्स एम फालिय गठियं करेइ. करतं वा जो भिक्षु फटे हुए वस्त्र के एक गांठ देता है, दिलवाता है साइज्जह। या देने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू वस्थस्स परं तिा कालिय-गठियाणं करेइ. करेंतं जो भिक्षु फटे हुए वस्त्र को टोन से अधिक गाँट देता है, या साइजइ । दिलवाता है मा देने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू बत्थस्स एग फालिय गण्ड गत वा साइज्जद। जो भिक्ष एक सिलाई करके वस्त्रों को जोड़ता है, जुड़वाता है या जोड़ने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्खू बत्यस्स पर तिलं कास्निया गंठेह, मंठेनं धा जो भिक्ष तीन से अधिक मिलाई करके वरहों को जोड़ता साइज्जई। है, जुडवाता है या जोड़ने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू वत्थं अविहीए गंठेड, गत वा साइजह। जो भिक्ष वात्र को अविधि से जोड़ता है, जुड़वाता है या जोड़ने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू व अतज्जाएणं महेइ, गहेंतं या साइज्जइ । जो भिक्ष विजातीय वस्त्रों को जोड़ता है, जुड़वाता है या जोड़ने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्खू अहरेग-गहिम वत्यं परं दिवढाओ मासाओ जो भिक्ष तीन से अधिक सिलाई आदि किये हुए वस्त्र को धरेइ, यरतं वा साइज्जइ। डेढ़ मास से अधिक धारण करता है, करवाता है या करने वाले का अनुमोदन करता है। तं सेवमाणे आवज्जह मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्याइयं । उसे मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) ---नि, उ.१, सु. ४७-५६ आता है।

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