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सूत्र ९६८
मन्दकुमारादि की माषा आदि का बोध
चारित्राचार
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मंदकुमाराईणं भासाबोहो
मन्दकुमारादि की भाषा आदि का बोध--- ७६८. ५०-- अह भंते ! मंदकुमारए वा महफुमामिला जाण भ. प्र.५ २.६ क्या गादकुमार (अबोध , बुषमाणे--''अहमेसे बुयामि, अहमेसे बुयामोति?" शिशु) अथवा भन्दकुमारिका (अबोध बालिका) बोलती हुई ऐसा
जाती है कि मैं बोल रही हूँ? ३०-गोयसा ! पो इ8 सम? णण्णत्थ सणिणो।। उ०-गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, सिवाय रांजी (अब
विज्ञानी, जातिस्मरण बाले) के । प०-अह मंते ! मंदकुमारए बा मंदकुमारिया वा जाति प्र. भगवन् ! क्या मन्दकुमार अथवा मन्दकुमारिका
आहारमाहारेमाणे-"अहमेसे आहारमाहारेमि, अह- आहार करती हुई जानती है कि मैं इस आहार को करती हूँ?
मेसे आहारमाहारेमि ति?" 30-गोयमा ! गो इण? समढ, णण्णत्व सणिणो। उ०—गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, सिवाय संजी के । प० अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा प्र-भगवन् ! क्या मन्दकुमार अथवा मन्दकुमारिका यह
जाति--.'अयं में अम्मापियरो अयं मे अम्मा- जानती है कि ये मेरे माता-पिता हैं ?
पिथरो ?" उ.-गोयमा ! णो इ8 सम?', णण्णत्थ सणिणो। उ० गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, सिवाय संजो के। प.-अह मते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा प्र.-भगवन् ! मन्दकुमार अथवा मन्दकुमारिवा क्या यह
जाति-"अयं मे अतिराउले अयं मे अतिराउले जानती है कि यह मेरे स्वामी (अधिराज) का घर (कुल) है?
ति" उ०—पोयमा ! जो इण समढ, णण्णत्व समिणो। उ०—गीतम ! यह अयं समर्थ (शक्य) नहीं है, सिवाय संजी
के।
प०-अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति- प्र-भगवन् ! क्या मन्दकुमार या मन्दकुमारिका यह
"अयं मे मट्टिदारए अयं मे भट्टिवारए ति?" जानती है कि यह मेरे भर्ता का पुत्र है? उ.-गोयमा 1 णो इणठे समठे, णऽण्णस्य सणिणो । उ०—गौतम ! यह अयं समर्थ नहीं है, संज्ञी को छोड़कर । प०-अह भंते ! उट्ट, गोणे, खरे, घोडए, अए, एलए प्र.-भगवन् ! इसके पश्वात् प्रश्न है कि ऊंट, बैल, गधा, जाणति बुयमाणे-"अहमेसे बुयामि अहमेसे बुयामि घोड़ा, बकरा और एलक (भेढ़) (इनमें से प्रत्येक) क्या बोलता
हुआ यह जानता है कि मैं यह बोल रहा हूं? 30-गोयमा ! णो इणठे समठे, गऽण्णत्व सणिणो। उ०—गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, सिवाय सजी के। १०-अहमते ! उ-जाव-एलए जाणति आहारेमाणे- प्र. -भगवन् ! ऊँट -थावत्-भेड़ तक (इनमें से प्रत्येक)
"अहमेसे आहारेमि अहमेसे आहारेमि ति?" आहार करता हुआ यह जानता है कि मैं यह आहार कर
ति?"
हुजा
ज-पोयमा ! णो इणठे समठे, गण्णत्व सणिणो। 30---गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, सिवाय संज्ञी के। प.-अह मते 1 उट्ट-जाव-एलए जाणति "अयं मे अम्मा- प्र.--भगवन् ! ऊँट-- यावत्-भेड़ क्या वह जानता हैं पियरो अयं मे अम्मापियरों" ति?
कि ये मेरे माता-पिता हैं ? उ.- गोयमा ! णो इण? समठे, णऽण्णस्य सणिणो। ० --गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । सिवाय संज्ञी के। प०-अह अंते ! उ-जाव-एलए जाति 'अयं मे अतिप्र -भगवन् ! ऊँट-यावस्-भेड़ क्या यह जानता हैं राउले अयं मे अतिराउले ति?"
कि यह मेरे स्वामी का घर है? ज-यमा ! णो दणढे समझें, णण्णत्व सणिणो । उ.-गौतम ! संझी को छोड़कर, यह अर्थ समर्थ (शक्य)
नहीं है।