________________
४५८ ]
चरणानुयोग
इहलौकिक शब्दों में बालिका प्रायश्चिस
सुद्धा वा वाय-युद्धाणि वा महि-मुवाणि वा विशेष) पुस ) ६. कर युद्ध के शब्दों को सुनने के ६ कराणि या बताना कापसे जाता है,जाने के लिए कहता है, जाने वाले का अनु सिंधारे भारत वा साइ मोदन करता है ।
१. उज्जूहिया-ठाणाणि या [जिम्हूहिया-ठाणाणि ब] २. पहिया ठाणाणि वा द. गमज़हिया ठाणाणि वा कण्णसोय-पडियाए अभिसंधारे अभिसंधारं या साइज्जइ ।
जे १. अभियानाणि वा २ अक्खाइपठाणाणि
३. माध्माणि डाणानि वा ४. मध्याय ४. म. ६. गीय, ७. वादिय, ८ तंतो, ६. तल १०. ताल ११.१२ उमाणि वासीय परियार furts afसंघातं वरसाइज्जइ ।
भिक्खू १. डिबाराणि वा, २. उमराराणि वर ३. खरा ४. रानिया महादान वा ६ महासंगमाथि ७. मोनिका कोन्यविया अभिसंधारे अभिसंधार वा साइज्जद्द ।
सूत्र ७०५-७०३
जेसिव विव- महुस्सबैसु इत्योगि वा पुरिसाणि वारा वा गाथा दहराणि वा याणि पर, मलकियाणि वा, गायंताणि वा, वायंताणि वा वाण या बाएमाणि वा मोहं वा विपुलं असणं या जाव-साइमं वा परिमाएतानि बा, परिताणिवा, कण्णसोय पडियाए अभिसंधारे अभि संघातं वा सरइज्जइ ।
·
जो (१) टन से आने वाले नामों के हो (अटवी में जाने वाले गायों के यूथ को) (२) घोड़ों के यूथ को, (३) हाथियों के यूथ से आने वाले शब्दों को सुनने के सकल्प से जाता है, जाने के लिए कहता है, जाने वाले का बनुमोदन करता है ।
जो भिक्षु (१) अभिषेक स्थान (२) जुआ खेलने का स्थान, (३) माप-तौल के स्थान (४) महाबलशाली पुरुषों के द्वारा जहाँ पर जोर जोर से बाजे बजाये जा रहे हों ऐसे स्थान ( ५ ) नृत्य. (६) गीत (७) नाथ, (८) कभी, (२) (१०) (११) त्रुटित, (१२) घन-मृदंग आदि के स्थान से आने वाले शब्दों को सुनने के य से जाता है, जाने के लिए है,
जाने वाले का अनुमोदन करता है ।
(१)
"
(१) विद्रोह करने वाले को (२) कोश करने वाले को, (४) वैर भाव रखने वाले (५) महायुद्ध को (६) महाबा को, (७) को, (५) शमी-यशोय करने वाले शब्दों को चुनने के से जाता है. जाने के लिए कहता है. जाने वाले का अनुमोदन करता है .
जो भिक्षु अनेक प्रकार के उत्सकों में स्त्रियों को, पुरुषों को, स्वदिरों को, मध्यमवय वालों को मानकों को बननों को, सुअलंकृतों को गाने वाले को, बजाने वाले को नाचने वाले की, हंसने वाले की, रमण करने वाले को मुग्धों को (जहाँ विपुल अशन यावत् स्वाद्य बांटा जाता है या परिभोग किया जाता है ऐसे स्थान से जाने वाले शब्दों को सुनने के लिए जाता है, जाने के लिए है, जाने वाले का अनुमोदन करता है। उसे चातुर्मासिकालिक परिहारस्थान ( आता है।
सेवमाने आवास परिहारद्वा
- नि. उ. १७. सु. १३९-१५० लोहास आसलिए पापछतमु इहलौकिकादि शब्दों में आसक्ति का प्रायश्चित्त सूत्र७०६. जे सिक् १. इहलोह वा समु' २. परलोह वा स. ७०६. जो भिक्षु ( १ ) इहलौकिक शब्दों में, (२) पारलौकिक सु. ४. वा स. ५. सुर वा जदों में, (३) पुष्टों में, (4) बष्टशादी में, (४) अनु वा स ७ विगाए वादों में, (५) शब्दों में, (७) शाशदों में, (८) अज्ञात ८. अण्णा वा सद्दसु सज्जइ रज्जइ. गिज्झह, अन्नो शब्दों में, आसक्त, रक्त, गृद्ध और अत्यधिक गृद्ध होता है, होने होने वाले का अनुमोदन करता है।
३.
समाया
या असो
को
ववज्जमानं वा साइज्जइ ।
१ भाष्य सु १५१ में यहाँ ससु के स्थान पर रुसु शब्द है परन्तु सद्देसु शब्द उपयुक्त होने से निशीथ गुटके के अनुसार यहाँ यह सूत्र इस प्रकार लिया है।