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४१६] चरणानुयोग
धूतं वा पर्खेत वा साइ
तं सेवमाणे आवज चाउम्मासि परिहारद्वाणं अणुग्धाश्य - नि. उ. ६, सु. १४-१८६
मेहूण पत्थणाव पार्याच्छित सुतं६१. जिया
सज्ज |
मेथुन सेवन के लिए प्रार्थना करने का प्रायश्चित सूत्र
मेहणवडियाए दिव्य विष्णवेत बा
तं सेवमाने आवज्जद बाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अनुग्धादयं - नि. उ. ६, सु. १
।
मेणवडिवा वत्य विरहियकरणस्स पायच्छित सुतं मैथुन सेवन के लिए वस्त्र अपावृत करने का प्रायश्चित्त
।
तं सेवमाने आवज चाउम्मानिय परिहारट्ठा जग्याह - नि. उ. ६, सु. ११ मेहूणवडिया अंगावराण वरिसणस्स पायच्छित सुत२१. (जे भिक्खू माणमस्त मेहुणवडियाए
"इच्छामि मेमो अलिया अंगावरणं यासित" जो तं एवं वय वयंतं वा साइज । )
सं सेजमाणे प्रायम्य बाउमाथि परिहारानं अप्वाइ -नि. उ. ६, सु. ११
सूत्र -
६२. मायरस मेषवडियाए सयं ६२०. जो मिश्र माता के समान है इन्द्रियों जिसको (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन के लिए उसे स्वयं न होने के लिए कहे. हवायें कहने वाले का अनुमोदन करे |
करतं वा साइज्जद ।
उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्वित) आता है ।
अंगादान - परिकम्मत पायति सुताई
६२२. भावा
कटुन वा कमिषेण ना,
अंगुलिया का समाए वा संस
धूप देने वाले का बार-बार धूप देने वाले का अनुमोदन
करे ।
।
उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्चित्त) आता है।
मंथन सेवन के लिए प्रार्थना करने का प्रायश्चित सूत्र६१९. जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियां जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन के लिए प्रार्थना करे करवावे, करने वाले का अनुमोदन करे ।
वे मिट अंगामा --
संबाहेज्ज वा पलिम का,
बात या पलिम तं बासा।
जे भिक्कू अंगाबा
सेल्लेण वा जामगवणीए वा
सूत्र ६१८-६२२
उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्चित्त) आता है।
मैथुन सेवन के लिए अंगदान दर्शन का प्रायश्चित सूत्र६२१.[ माता के समान है इन्द्रियों जिसकी ऐसी से) मैथुन सेवन का संकल्प करके कहे कि -
"हे आयें ! मैं तुम्हारे बनावृत अंग को देखना चाहता हूँ ।" इस प्रकार जो कहता है, कहलवाता है, कहने वाले का अनुमोदन करता है । ]
उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्चित्त) जाता है।
अगादान परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र
६२२. जो भिक्षु जननेन्द्रियको
काष्ठ से बांस की खपच्ची से,
अंगुली से या शलाका से,
संचालन करता है, संचालन करवाता है, संचालन करने वाले का अनुमोदन करता है ।
जो भिक्षु जननेन्द्रिय का
मन करे, प्रमर्दन करें,
मर्दन करवावे न करवावे,
J
मर्दन करने वाले का प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन
करें ।
जो भिक्षु जननेन्द्रिय परतेल- यावत् मक्खन,