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सूत्र ३०-३१
निर्जन्य द्वारा निर्मन्बी के कृमि निकलवाने का प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार
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अन्नयरेगं आसवणजाएगं,
अन्य किसी एक लेप का, आलियावेत्ता वा, विसिपावेत्ता पा,
लेप करवाकर, बार-बार लेप करवाकर, तेलतेण वा-जाव-पवणीएण वा.
नेन--कार-- 1, अम्मंगावेज वा, मायावेज वा,
मलवावे, बार-बार मलवावे, असमंगायेंतं या, मक्खावेतं वा सामा।
मलवानेवाले का, बार-बार मलवानेवाले का अनुमोदन करे। णि गंथे णिगंधीए कार्यसि -
जो निम्रन्थ निर्ग्रन्थी के शरीर के, गरं वा.-मान-मगंवलं वा,
गण्ड-पाव-भगन्दर को, अण्णउत्पिएप वा, गारपिएण या,
अन्यतीथिक या गृहस्थ से, अनपरे तिवणं सत्यजाएणं,
किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, पिरामेसा बा, विच्छिवाषेत्ता बा,
छेदन करवाकर, बार-बार छेदन करवाकर, पूर्व वा, सोणियं या,
पोप या रक्त को, नोहरावेत्ता वा, विसोहावेसावा,
निकलवाकर, शोधन करवाकर, सीओवग-वियरेण वा, सिगोदग-वियोण वा,
अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, उच्छोलावता दा, पधोयावेत्ता वा,
धुलवाकर, बार-बार धुलवाकर, अनपरे आलेवगमाएणं,
अन्य किसी एक लेप का, आलिशवत्ता वा, विलिपविता वा,
लेप करवाकर, बार-बार लेप करवाकर, तेस्लेग वा-जाव-पवीएणबा,
तेल-यावत्-मक्खन, अभंगावेसा वा, मक्खावेत्ता ,
मलवाकर, बार-बार मलबाकर, अन्नमरेगं धूवणजाएणं,
किसी एक प्रकार के अन्य धूप से, धूवावेज वा, पधूमावेज्ज वा,
धूप दिलवाके, बार-बार धूप दिलवावे, धूवावेतं वा, पकावेत वा साइन्जा ।
धूप दिलवाने वाले का, बार-बार धूप दिलवाने वाले का
अनुमोदन करे। त सेवमाणे आवस्जद चाउम्मासिय परिहारहाणं उग्याइयं। उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ. १७, सु. ८६.६१ आता है। णिगण णिग्गंधी-फिमीणोहरावणस्स पायपिछससत्तं- निर्ग्रन्थ द्वारा निर्ग्रन्थी के कृमि निकलवाने का प्रायश्चित
सूत्र३८१. जे मिरगये णिगयीए,
३८१. जो निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थी की, पाकिमियं वा,
गुदा के कृमियों कोसुच्छिकिमियं बा,
और कुक्षि के कृमियों को, माउथिएग वा, गारहथिएण वा,
अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से, अंगुलिए निसाविय निधेसाविय नोहरावइ, नौहरात वा उंगली हलवा-हलवाकर निकलवाता है, निकलवाने वाले का साहज्जइ।
___ अनुमोदन करता है। संसेवमाणं आवज साउम्मासियं परिहारहाणं उग्याइय। उसे चातुर्मासिफ उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि.उ. १७, सु.६२ आता है।
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