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रणायोग
सोथिक या गृहस्थ के घरों के परिकमो के प्रायश्चित्त सूत्र
सूत्र ५६५-५६६
नौहरेत वा, विसोहेस वा साइजइ।
दूर करने वाले का, शोधन करने वाले का अनुमोदन करे । तवमाणे आवाज घाजम्मासिय परिहारद्वाणं अणुधाइयं । उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
नि. उ. ११, नु. ६१-६२ आता है । अण्णउत्थियस्स गारथियस्स पायपरिकम्म पायच्छित अन्यतीथिक या गृहस्थ के पैरों के परिकों के प्रायश्चित्त
सुत्ताई५६६. जे मिक्स्यू अण्णउत्थियस्स था, गारस्थियरस वा पाए- ५६६, जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ के पैरों काआमज्जेग्ज वा पमज्जेज्ज वा,
मार्जन करे, प्रमार्जन करे,
मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवाशे, आमज्जंत वा. पमग्नंस था साइजाई।
मार्जन करने वाले का, प्रमार्जन करने वाले का अनुमोदन
फरे। में भिक्खू अण्णरित्ययस्स बा, गारस्थिपस्स वा पाए
जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ के पैरों कासंबाहेज्ज वा, पलिमद्देज्ज था,
मर्दन करे, प्रमर्दन करे,
मर्दन करवावे, प्रमर्दन करवावे, संत्रात वा, पलिमह वा साइज्जद ।
मर्दन करने वाले का, प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन करे। जे भिक्षु अण्णउत्थियस्स बा, गारस्थियम या पाए
जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ के पैरों परतेस्लेण वा-जावणवमोएण वा,
तेल-यावत्-मक्खन, मक्झेम्ज वा, मिलिगेज्ज वा,
मले, बार-बार मले,
मलवावे, बार-बार मलवावे, मक्खें या, मिलिगेत वा साइजइ ।
मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करें। भिखू अण्णास्थियस्स वा, गारस्यियास वा पाए
जो भिक्षु अन्यतीचिक या गृहस्थ के पैरों परलोण वा-जाव-वण्णेण वा,
लोध-माधव-वर्ण का, वल्लोलेज बा, उम्बज वा,
उबटन करे, बार-बार उबटन करे,
उबटन करवावे, बार-बार उबटन करवावे, उल्लोलतं वा, उट्वट्टतं मा साइज्ज ।
उबटन करने वाले का, बार-बार उबटन करने वाले का
अनुमोदन करे। में भिक्खू अण्णस्थिवास वा, गारथि यस्स का पाए
जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ के पैरों कोसीमोग-वियशेण वा, सिणोक्गवियोण पा,
अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, उन्होलेज्ज वा, पधोएज्ज वा,
धोये, बार-बार धोये,
धुलवावे, बार-बार धुलवावे, उछोले वा, पधोएतं वा साइजह ।
धोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करें। बे भिक्य अण्ण उस्थियस्स बा, पारस्थियस्स वा पाए
जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ के पैरों कोफूमेन वा, रएज्ज वा,
रंगे, बार-बार रंगे,
रंगवावे, बार-बार रंगवाये, फूतं वा, राएत या साइजई।
रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे। तं सेत्रमागे आवजा चाउमासियं परिहारदाणं अनुराधाइय। उसे चातुर्मासिक अनुघातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ. ११, सु. ११-१६ आता है।