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सूत्र ३६१-३१३
बमावि परिकार सम्बन्धी प्रायश्चित्त सूत्र
परित्राचार
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जे निवडू वगोणियं
जो भिक्षु अन्यतीर्थिक से या गृहस्थ से, अण्णउरियएग वा गारथिएण वा
पानी निकालने की नाली का, कारेदकारतं वा साइजह ।
निर्माण करवाता है, करजाने वाले का अनुमोदन करता है। से भिक्खू सिक्कगणंतगं वा
जो भिक्षु अन्यत्तीथिक से पा गृहस्थ से, अण्णउत्पिएण वा, गारस्थिएग या
छींका, छीके को होरियों का, कारेकारतं मा साइजह ।
निर्माण करवाता है, करवाने वाले का अनुमोदन करता है। मे भिक्खू सोसिप का, रज्जयं वा, चिलिमिलि वा
जो भिक्षु अन्यतीर्थिक से या गृहस्थ से, अण्णाजस्थिएग या, गारथिएज या
सूत की रस्सी या चिलिमिली का, कारेर कारतं वा साइज्जइ।
निर्माण करवाता है, करवाने वाले का अनुमोदन करता है। तं सेवमाणे आवस्नइ मासियं परिहारद्वाणं अस्वाइयं । उसे मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. ३. १. सु. ११-१४ आता है। बंडाइ परिकम्मस्स पायच्छित्त सुतं
दण्डादि परिस्कार सम्बन्धी प्रायश्चित्त-- ३९२. मे भिक्खू वंडर्ग वा, लद्वियं बा, अवलेहणं वा, वेण सूइमं या, ३६२. जो भिक्षु दण्ड, लाठी, अवलेहनिका या बांस की सूई का सयमेव परिघट्टो वा, संठवेद वा, जमायेइ वा,
स्वयं निर्माण करता है. आकार सुधारता है, विषम को सम करता है,
निर्माण करवाता है, आकार सुधरवाता है, विषम को सम
करवाता है, परिघटेत वा संवत चा नमात वा साइम्मइ ।
निर्माण करने वाले का, अाकार सुधारने वाले का, विषम
को, सम करने वाले का अनुमोदन करता है। सेवमाणे आवजह मासिवं परिहारद्वाणं उग्घायं । उसे मामिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि.उ. २, सु. २६ आता है। वारूवंडकरणाईणं पायपिछस सुत्ताई
दारूदण्ड करने आदि के प्रायश्चित्त सूत्रभिक्खू सचित्ताई-१-बार वाणिवा, २. वेणु-मंडाणि ३६३. जो भिक्षु (१) सचित्त काष्ठ का दण्ड, (२) सचित्त बांस वा, ३. वेत्त-दंडाणि वा- .
का दण्ड और (३) सचित्त बेंत का दण्ड करेइकरतं वा साइज्ज।
बनाता है, बनवाता है, बनाने वाले का अनुमोदन करता है। अभिनय सचित्तार-बार-शाणि वा-जाब-वेत-पंडागि वा जो भिक्षु सचित्त काष्ठ का दण्ड-यामत-सचित्त बेंत का
।
धरोह, धरत पा साइजह।
जेभिक्स बिताई-बाल-वंडाणि वा-जाद-वेत्त-वंशमणि था
परिमुंबइ, परिमुंजतं या साइन्मा।
धरा रखता है, धरा रखवाता है, धरा रखने वाले का अनुमोदन करता है।
जो भिक्षु सचित्त काष्ठ के वण्ड-यावद-सचित्त बेंत के दण्ड का
परिभोग करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है।
जो भिक्षु काष्ठ के दण्ड को---यावत्-बेंत के दण्ड को, रंगता है, रंगवाता है, रंगने वाले का अनुमोदन करता है। जो भिक्षु काष्ठ के दण्ड को-यावत्ये त के दण्ड को
रंग कर घरा रखता है, धरा रखबाता है, घरा रखने वाले का अनुमोदन करता है।
ने मिक्खू चित्ताई-बाल-वाणि वा-जाव-वेस-शणि वा कोड, फरस वा साइज ने मिस् बिसाई-बह-शागि वा-जाय-बेत्त-शागि वा परेड, परत वा साइजा ।