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सूत्र ५२७.५२६
नखान परिकर्म करवाने के प्रायश्चित्त सूत्र
बारित्राचार
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संवाहात वा, पलिमहावेत या साइजह ।
जे भिक्ख अण्णउत्थिएणवा, गारथिएण या अपणो पावेसेस्लेण वा-जाव-णवणीएण वा, मवक्षावेज्ज वा, भिलगावेज वा, मक्खात वा, भिलिंगावेतं वा साइज्जह ।
मर्दन करवाने वाले का, प्रमर्दन करवाने वाले का अनुमोदन करे।
जो भिक्षु अन्यतीथिक से या गृहस्थ से अपने पैरों कोतेल-पावद-मक्खन, मतवादे, बार-बार मलवावे, मलवाने वाले का, बार-बार मलवाने वाले का अनुमोदन
करे।
जे भिक्खू अगाउथिएण वा, गारथिएण या अपणो पावे- जो भिक्ष अन्यतीर्थिक से था गृहस्थ से अपने पैरों कोलोण वा-जान-वणेग वा,
लोध-यावत्- वर्ण का, उल्लोलावेज्म या, उस्वट्टावेज वा,
उबटन करवावे, बार-बार उबदन करवावं, जलसात बा, स्वायतरा साह ।
उबटन करवाने वाले का, बार-बार उबटन करवाने वाले
का अनुमोदन करे। जे भिक्यू अण्णउत्थिएण बा, गारथिएण वा अप्पणो पावे- जो भिक्ष अन्यतीषिक से या गृहस्थ से अपने पैरों कोसोओषग-वियोण वा, उसिप्पोदरा-षियण वा,
अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण बल से, उन्छोलावेज्ज वा, पोयावेज्ज वा,
धुलवावे, बार-बार धुलवाने, उच्छोलावतं वा, पधोयावेत वा साइजा।
घुलवाने वाले का, बार-बार धुलवाने वाले का अनुमोदन
करे। जे भिक्खू अण्णवस्थिएणया, गारत्यिएण वा अप्पणो पादे- जो भिक्षु अन्यतीर्थिक से या गृहस्थ से अपने पैरों कोफूभावेज्जा.बा, रयरवेज वा,
. रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूमावतं वा, रयावत वा साइज्जद ।
__ रंगवाने वाले का, बार-बार रंगवाने वाले का अनुमोदन
करे। तं सेवामागे आवज्जा वाचम्मापिय परिहारहाणं उग्याइयं । उसे उद्घातिक चातुर्मासिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
- नि. उ. १५, सु. १३-३८ आता है। णहसीहाए परिकम्मकारायणण्स पायच्छित सुत्त- नखान परिकर्म करवाने का प्रायश्चित्त सूत्र५२८. जे मिक्खू अण्ण उत्यिएण वा, गारथिएण वा बोहाओ नह- ५२८. जो भिक्ष अन्यतीथिक से या गृहस्थ से लंबे नखानों को
सिहाओकप्पावेज वा, संठवावेज वा,
कटवावे, सुशोभित करवाई, कप्पार्वतं था, संठवावेत या साइज्जइ ।
कटवाने वाले का, सुशोभित करवाने वाले का अनुमोदन करे । तं सेवमाणे आवाजइ चाउम्मासियं परिहारद्वाणं उग्याइयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ. १५, सु. ३८ आता है। अंघाइरोमाण परिकम्मकारावणस्स पायच्छित्त सुत्साई-- जंघादि के रोमों का परिकर्म करवाने के प्रायश्चित्त सूत्र५२६.जे भिखू अण्णउत्यिएण वा, गारथिएण वा बीहाई जंध- ५२६. जो भिक्ष अन्यतीथिक से या गृहस्य से जंघा (पिण्डली) के रोमाई
लम्बे रोमों कोकापावेज्ज बा, संठवावेज वा,
.. कटवावे, सुशोभित करवावे, कप्पावेतं वा, संठवावेत वा साहज्जद ।
कटवाने वाले का, सुशोभित करवाने वाले का अनुमोदन
करें। जे भिक्खू अण्णउत्यिएण वा, गारस्थिएष वा योहाई घरख- जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ से बगल (कांख) के लम्बे रोमाई--
. रोमों को