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पूष ३०१-३०२
मत और मवमत पर्शनी
दर्शनाचार
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उन्नया अवनया उन्नयबसणा-अवनयसणा
उनत और अवनत, उन्नत दर्शनी और अवनत दर्शनी३०१. चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, तं जहा
३०१. चार प्रकार के पुरुष कहे है, यथाउमए नाममेगे उभयविट्ठी,
एक पुरुष उन्नत है और उन्नत दृष्टि-दर्शनवाला है, उनए नाममेगे पणएविट्ठी,
एक पुरुष उन्नत है किन्तु हीन दृष्टि-दर्शनवाला है, पणए नाममेगे उन्नयबिट्ठी,
एक पुरुष हीन है किन्तु उन्नत दृष्टि-दर्शनवाला है, पणए नाममेगे पणएविट्ठी।
एक पुरुष हीन है और हीन वृष्टि-पर्शनवाला है। -ठाणं. ब. ४, उ. १, सु. २३६ सरला बंका उज्जुबसणा-कदसणा आह -
सरल और वक्र, सरल दुष्टि और वक्रदष्टि आदि३०२. (क) बत्तारि पुरिसजाया पणता, तं अहा
३०२. चार प्रकार के पुरुष कहे हैं, यथाउज्जू नाममेंगे उम्जूविट्ठो,
__एक पुरुष हृदय से सरल है और मायारहिस दृष्टि
दर्शनवाला है, उग्न नाममेगे वकविट्ठी,
एक पुरुष हृदय से सरल है किन्तु वह भायायुत दृष्टि
दर्शनवाला है, बके नाममेगे उज्वृविट्ठी,
___ एक पुरुष हृदय से वक्र है किन्तु मायारहित दृष्टि
दर्शनवाला है, बके माममेगे यकविडो।
एक पुरुष हृदय से वक्र है और मायायुत दृष्टि-दर्शन-ठाणं. अ. ४, उ. 1, सु. २३६ वाला है । (ख) पत्तारि पुरिसजाया पणता, तं जहा
चार प्रकार के पुरुष कहे हैं, यथाअग्ने नाममेगे अन्मविट्ठी,
एक पुरुष आर्य है और आर्य दृष्टि-दर्शनवाला है, भाजे नाममेगे अगजविट्ठो,
एक पुरुष आर्य है किन्तु अनार्य-दृष्टि-दर्शनवाला है, अगज्जे नाममेगे अज्जविट्ठी,
एक पुरुष अनार्य है किन्तु आयं दृष्टि-दर्शनवाला है, अणज्ने नाममेगे अणज्नविट्ठी।
एक पुरुष अनार्य है और मनायं दृष्टि-दर्शनवाला है। -ठाणं. ब.४, उ. २.सु.२८० (ग) चत्तारि पुरिसजाया पण्णी , ब्रहा
चार प्रकार के पुरुष कहे हैं, यथा-- वोगे नाममेगे दोणविट्ठी,
एक पुरुष म्लान मुख दाला है और उसकी दृष्टि-दर्शन भी
स्पष्ट नहीं है, होणे नाममेगे सोपविट्ठी,
एक पुरुष म्सान मुख वाला है किन्तु उसकी दृष्टि-दर्शन
स्पष्ट है, अदोणे नाममेगे बोगचिट्ठी,
एक पुरुष म्लान मुख वाला नहीं है किन्तु उसकी दृष्टि
दर्शन स्पष्ट है, अबोणे नाममेगे अदोणचिट्ठी ।
__ एक पुरुष म्लान मुख वाला नहीं है और उसकी दृष्टि-ठाणं. अ.४,उ. २, सु. २७१ दर्शन भी स्पष्ट है।