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१२८] चरणानुयोग
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तनावरणीय के क्षय से बोधिलाभ और क्षय न होने से अलाभ
-से केण णं मंते ! एवं बुच्चइ----
लावावासियाए वा अत्येत्तिए केवलं मोहिं दुज्ज्जा अत्येतिए केवलं योहि नो बुझेज्जा ?
उ०- गोयमा ! जस्स गं दरिसणावरनिज्जा कम्माणं खओवसमे कडे भव से णं सोचा केवलिस्स वा जाव विवा
जस्स गं दरिसणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे तो कडे भव से गं सोचा के लिएस वा जावन्तपविषय उवासियाए वा केवलं वो हि नो बुझे । से लेग गोमा एवं -
जस्स णं परिसणावर विज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे अवड़ से णं सोचा केवलिसा बा-जाद-सत्यश्लिम जवासियाए या केवलं बोहि बुझेज्जा । जस्स णं हरिणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ, से पं सोच्चा केवलिस या जान सम्पविखय उदासिया वा केवलं मोहिनी ।
- वि. श. ६, उ. ३१, सु. १३ प०- ( ख ) असोला णं भंते ! केवलिरस वा जाब-तप्पक्लिय सिया के ह
उ०- गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स बा जावसप्प विषय बलिया वा अत्येलिए केवल वीहि संत्रा अत्भेतिए केवलं कोहि नो ।
प० ---से के गट्टणं भंते ! एवं बुच्च
असोया व केवलिरस वा जान पपिवासियाए वा अत्येलिए केवल मोहिमे भगलिए ? उ०- गोयमा ! जस्स णं वरिसणावर णिज्जाणं कम्माणं समेकभव से अशोच्या केविल्स या - जाव-विवासियाए वा केवलं बोहि बुज्ना जस्त गं दरिसणाधरणिज्जाणं क्रम्माणं खओवसमे नो कडे मइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जान तथ्य क्यासियर था। से लेणं गोवमा एवं व
जस्स णं दरिसणावरणिजाणं कम्माणं उओवसमे कडे मगर, से णं असोकचा केवलिस्स वा जावन्त लिसिया वा केहि
सूत्र २१६
प्र० भन्ते ! किस प्रयोजन से ऐसा कहा जाता हैकेवली से बावत् केवलीपाक्षिक उपासिका से सुनकर कई जीन केवलबोधि को प्राप्त कर सकते हैं, और कई जीव केवलबोधि को प्राप्त नहीं कर सकते हैं ?
उ०- गौतम ! जिसके दर्शनावरणीय कर्म का क्षयोपश्म हुआ है वह केवली से - यावत् केवलीपाक्षिक उपासिका से सुनकर केवल बांधि को प्राप्त कर सकता है
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जिसके दर्शनावरणीय कर्म का क्षयोपयम नहीं हुआ है. वह केवल से पायत्- केवली पाक्षिक उपासिका से सुनकर केवल बोधि को प्राप्त नहीं कर सकता है।
गौतम ! इस प्रयोजन से ऐसा कहा जाता हैजिसके दर्शनावरणीय काम हुआ है यह केवल संपादकेवली पाक्षिक उपासिका से सुनकर केवलवोधि को प्राप्त कर सकता है ।
जिसके दर्शनावरणीय कर्म का क्षयोपशम नहीं हुआ है यह केवली सेवा के वलीपाक्षिक उपासिका से सुनकर केवल बोधि को प्राप्त नहीं कर सकता है।
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प्र० (ख) भन्दे ! केवली से पातु शिक्षिक उपासिका से सुने बिना कोई जीव केवलबोधि को प्राप्त कर सकता है ?
उ०- गौतम ! केवली से-पावत् केवलीपाक्षिक उपा
से सुने बिना कई जीव केलथि को प्राप्त कर सकते हैं और कई जीव केवलबोधि को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। प्र० - भन्ते ! किस प्रयोजन से ऐसा कहा जाता हैकेवली से पावत्— केवलोपाक्षिक उपासिका से सुने बिना कई जीव केवलमो को प्राप्त कर सकते हैं और कई जीव केवलबोधि को प्राप्त नहीं कर सकते हैं ?
गौतम ! जिसके दर्शनावरणीय कर्म का क्षयोपशम हुआ है यह केवल सेवा केवलीपालिक उपासिका से सुने बिना केवल बोधि को प्राप्त कर सकता है |
जिसके दर्शनावरणीय कर्म का क्षयोपशम नहीं हुआ है, वह केवली से -- यावत् केवलीपाक्षिक उपासिका से सुने बिना केवल बोधि को प्राप्त नहीं कर सकता है ।
गौतम ! इस प्रयोजन से ऐसा कहा जाता है
जिसके दर्शनावरणीय कर्म का क्षयोपशम हुआ है वह केवली में यावत् केवलीपाक्षिक उपासिका से बिना सुने केवलबोधि को प्राप्त कर सकता है ।