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( १७ )
॥ उच्च नीचादि बोधक चक्रम् ॥ | ग्रह । सूर्य । चन्द्र | मंगल | बुध | गुरु | शुक्र | शनि उच्च राशि मेष | वृषभ | मकर कन्या कर्क
तुला नीच राशि तुला वृश्चिक | कर्क |
कन्या मेष
मीन
मीन
मकर
परमोच्च ___ एवं परमनीच |
अंश
१०
३ ।
२८ | १५
३. अथ ग्रहणां शत्रु मित्र द्वारम्
रवीन्दुभौम गुरुवो ज्ञशुक्रशनिराहवः । स्वस्मिन्मित्राणि चत्वारि परस्मिनछत्रवः स्मृता ॥१५॥ राहुख्योः परं वैरं गुरुभार्गवयोरपि । हिमांशुबुधयोः वैरं विवस्वन्मन्दयोरपि ॥१६॥ ज्ञशनी सुहृदो मित्राण्यर्कचन्द्रकुजाः सदा।
पूज्यवौं गुरुसितौ संहिकेयस्य कथ्यते ॥१७॥ . अर्थात् सूर्य, चन्द्र, मंगल एवं गुरु ये चारों ग्रह परस्पर मित्र हैं। बुध शुक्र, शनि एवं राहु ये चारों ग्रह भी आपस में एक-दूसरे के,मित्र हैं। राहु एवं सूर्य, वृहस्पति एवं, शुक्र, चन्द्रमा एवं बुध और सूर्य एवं शनि इन दो-दो ग्रहों में परस्पर महाबैर है। बुध एवं शनि आपस में मित्र हैं तथा सूर्य, चन्द्र एवं मंगल सदैव एक दूसरे के मित्र हैं। गुरु और शुक्र परस्पर पूज्यवर्ग में हैं। (राहु के मित्रादि का कथन अग्रिम द्वार में निरूपित है)।
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