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( १३४ )
में निम्नलिखित योगों में से कोई एक योग हो तो विद्वान देवज्ञ को कहना चाहिए कि पृच्छक का प्रश्न चोरी गये धन से सम्बन्धित है |
(i) यदि लग्नेश ३, ६, ८ या १२वें भाव में हों । (ii) सप्तमेश होकर मंगल या शनि ३, ६, ८ या १२ वें भाव में बैठा हो ।
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(iii) यदि सप्तमेश ६, ८ या १२वें स्थान में स्थित हो । चोर विचार : यदि प्रश्न लग्न में स्थिर राशि, स्थिर राशि का नवांश अथवा वर्गोत्तम नवांश हो तो चोर प्रश्नकर्ता का सम्बन्धी होता है । यदि लग्न में चर राशि हो तो चोर बाहरी व्यक्ति होता है । और यदि लग्न में द्विस्वभावराशि हो तो चोर घर समीप रहने वाला होता है ।
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चोर कौन है : किस व्यक्ति ने चोरी की है ? इसका निश्चय करने के लिए प्रश्नशास्त्र में अनेक योगों का प्रतिपादन किया गया है । इस विषय में कुछ महत्वपूर्ण योग इस प्रकार हैं : (i) प्रश्नलग्न पर सूर्य और चन्द्रमा की दृष्टि हो तो चोर अपने घर का ही होता है ।
(ii) प्रश्नलग्न पर सूर्य और चन्द्रमा से किसी एक की दृष्टि होने पर पड़ोसी चोर होता है ।
(iii) लग्नेश और सप्तमेश दोनों प्रश्नलग्न में हों, तो चोर घर में रहने वाला होता है ।
(iv) सप्तमेश ३ या १२वें स्थान में हो तो अपना नौकर चोर होता है ।
(v) यदि सप्तमेश उच्च राशि या स्वराशि में हो तो चोर सुप्रसिद्ध (नामी) होता है ।
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