Book Title: Bhuvan Dipak
Author(s): Padmaprabhusuri, Shukdev Chaturvedi
Publisher: Ranjan Publications

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Page 174
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १७४ ) कर अनुपात या त्रैराशिक से कला-विकला का साधन कर लेना चाहिए। सारिणी से लग्न साधन के प्रसंग में यह ध्यान रखने योग्य बात है कि अपने नगर का जितना अक्षांश हो, उसी अक्षांश की लग्न सारिणी द्वारा लग्न साधन करना चाहिए। पाठकों की सुविधा के लिए यहां २५० उत्तरी अक्षांश से ३१० उत्तरी अक्षांश की लग्न सारणियां आगे दी जा रही हैं । इनकी सहायता से बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश के प्रायः सभी प्रमुख नगरों का लग्न साधन किया जा सकता है। किस नगर के लिए कौन-सी लग्न सारिणी का प्रयोग करें ? यह निश्चय करने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश के प्रमुख नगरों के अक्षांशादि की तालिका नीचे दी जा रही है। इस तालिका से अपने नगर का अक्षांश ज्ञात कर, उस अक्षांश की लग्न सारिणी द्वारा लग्न साधन सुगमतापूर्वक किया जा सकता है, अस्तु। उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगर और उनके अक्षांश नगर अक्षांश रेखांश अयोध्या २६-४८ ८२-१४ अलीगढ़ २७-५४ ८२-२ अल्मोड़ा २६-३७ ७६-४० आगरा २७-१० ७८-५ आजमगढ़ इटावा २६-४७ ७६-३ इलाहाबाद २५-२८ ८१-५४ उन्नाव २६-४८ ८०-४३ कन्नौज २७-३ ७६-५८ कानपुर २६-२८ ८०-२४ गाजियाबाद २८-४० ७७-२८ For Private and Personal Use Only

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