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( १६० )
अष्टम स्थान में हो और चन्द्रमा भी अष्टम में हो तो उस दिन तलवार, छुरा आदि से मृत्यु होती है।
भाष्य : अष्टम स्थान में अष्टमेश की स्थिति मृत्यु भाव को बलवान् बनाती है। यदि कोई पाप ग्रह अष्टमेश होकर अष्टम में हो तो यह योग और भी उग्र बनता है। अतः दिनचर्या के प्रश्न में इस प्रश्न का निर्णायक चन्द्रमा किसी पापी अष्टमेश के साथ अष्टम स्थान में हो तो पूर्ण रूपेण मृत्यु का योग बनता है। पाप ग्रहों में से मंगल और राहु शस्त्र के प्रतिनिधि ग्रह हैं । इसलिए ग्रन्थकार का यह कथन ठीक है कि यदि मंगल अथवा राहु २ के १२
त्रा स्वराशि में अष्टमस्थान में चन्द्रमा
के साथ हो तो व्यक्ति की मृत्यु तलवार आदि शस्त्र से होती है। कुण्डली देखिये : यहाँ मंगल स्वराशि
में चंद्रमा के साथ स्थित है। अत:
- शस्त्र की चोट से मृत्यु का योग बनता है।
वन्तुरवदनः कृष्णो विज्ञेयो राहुदर्शने प्राणी।
षष्ठेऽष्टमे च जीवः कथयति च सन्निपात रुजम् ॥१६२॥ अर्थात् राहु की दृष्टि होने पर व्यक्ति काले रंग का और बड़े दाँत वाला होता है तथा षष्ठ एवं अष्टम में गुरु हो तो सन्निपात रोग कहना चाहिए।
भाष्य :जातक ग्रन्थों मेंराहु का स्वरूप काला और बड़े दाँत वाला बताया गया है। अतः उसको प्रश्नलग्न पर दृष्टि होने से व्यक्ति का स्वरूप भी वैसा ही होता है। छठे और आठवें स्थान
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