Book Title: Bhuvan Dipak
Author(s): Padmaprabhusuri, Shukdev Chaturvedi
Publisher: Ranjan Publications

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Page 171
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट प्रश्न-कुण्डली कैसे बनायें ? प्रश्न-कुण्डली बनाने की कई रीतियाँ विद्वान् आचार्यों ने बतलाई हैं। प्रश्न-कुण्डली बनाने के लिए इष्टकाल का साधन कर सूर्य एवं अन्य ग्रहों का स्पष्टीकरण कर, इष्टकाल एवं स्पष्ट सूर्य के द्वारा स्पष्ट लग्न का साधन कर लेना चाहिए। इस प्रकार जो लग्न ज्ञात हो उसे कुण्डली के प्रथम भाव में रखकर आगे १२ भावों में अनुलोम क्रम से १२ राशियों को रख देना चाहिए और स्पष्ट ग्रह जिस-जिस राशि में हों उन्हें कुण्डली में उन-उन राशियों में स्थापित कर दें। लग्न-कुण्डली बन जाती है। इष्टकाल-साधन प्रश्न-कुण्डली का गणित इष्टकाल के आधार पर ही किया जाता है। अतः इष्टकाल बनाने के नियमों को जान लेना आवश्यक है। सूर्योदय से लेकर प्रश्न पूछने के समय तक के काल को इष्टकाल कहते हैं। इसके बनाने के निम्नलिखित नियम हैं : . (i) सूर्योदय से लेकर दिन के १२ बजे तक प्रश्न किया जाय तो प्रश्नकाल और सूर्योदयकाल के अन्तर (घण्टा-मिनट) को ढाई गुना करने से घटी-पलात्मक इष्टकाल होता है । उदाहरण--सं० २०३२ आषाढ़ शुक्ला बुधवार, दि० २३ जुलाई, १६७५ को प्रात: १०/२५ बजे किसी ने प्रश्न किया। अतः उक्त नियमानुसार : १०/२५ प्रश्नकाल =दिल्ली का सूर्योदयकाल इस अन्तर को ढाई गुना करने से ११ घटी ५० पल इष्टकाल हुआ। For Private and Personal Use Only

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