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( १४७ )
डूबना, ३. तूफान, दिशा भ्रम या अन्य परिस्थितियों में समुद्र में भटकना और ४. जहाज में लाये गये सामान से व्यापार में लाभ होगा। इन चारों प्रश्नों का विस्तारपूर्वक विचार प्रश्न शास्त्र के सभी ग्रन्थों में किया गया है ।
जहाज की सकुशल वापसी के प्रश्न में यदि प्रश्नकुण्डली में मृत्यु योग हो तो जहाज कुशलतापूर्वक स्वदेश आ जाता है और लादे गये सौदे से व्यापार में लाभ होता है । पिछले श्लोक में बतलाया जा चुका है कि मृत्यु बन्धन एवं नौका इन प्रश्नों के फलादेश की रीति समान होती है । इसलिए मृत्यु योग में जहाज की वापसी कही है । नीलकण्ठ का भी यही मत है ।
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नेक्षते लग्नपो लग्नं मृतिपो नेशते मृतिम् ।
यानपात्रस्य वक्तव्यं निश्चितं बुडनं तदा ॥ १४२ ॥ लग्नपश्चाष्टमस्थानाधिपतिर्वा भवेद्यदि । सप्तमे कथयन्त्यन्तर्जले वापकिन तदा ।। १४३ ।। अर्थात् यदि लग्नेश लग्न को और अष्टमेश अष्टम स्थान को न देखे तो जहाज निश्चित रूप से डूब गया – ऐसा कहना चाहिए । यदि लग्नेश या अष्टमेश सप्तम भाव में हो तो नौका समुद्र में भटक रही है ।
भाष्य : नौका के प्रश्न में यदि लग्नेश लग्न को और अष्टमेश अष्टम भाव को न देखें तो जहाज डूब गया है यह जानना चाहिए | और यदि लग्नेश या सप्तमेश सप्तम भाव में हों तो नौका जल के अन्दर ( समुद्र में ) तूफान दिशा भ्रम या अन्य उपद्रववश भटक रही है - ऐसा फलादेश कहना चाहिए । अन्य आचार्यों का भी यही कहना है ।
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