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( १३६ ) वाली स्त्री होती है। यदि सप्तमेश पुरुष राशि (विषमराशि) में स्थित हो, वह पुरुष ग्रह हो या उस पर पुरुष ग्रह की दृष्टि हो तो चोरी करने वाला पुरुष होता है। - यह चोर है या नहीं? : प्रश्नकर्ता का जिस व्यक्ति पर चोरी करने का सन्देह है, वह चोर है या नहीं ? यह निश्चय करने का आसान तरीका इस प्रकार है-- यदि प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा पापग्रह से इत्थशाल करता हो तो सन्दिग्ध व्यक्ति चोर होता है और यदि वह शुभ ग्रह से इत्थशाल करता हो तो वह व्यक्ति चोर नहीं होता।।
क्या इसने कभी चोरी की है ? इस प्रकार के प्रश्न में यदि लग्नेश या चन्द्रमा से सप्तमेश का इसराफ योग हो तो उक्त व्यक्ति ने पहले भी चोरी की है, यह जानना चाहिए। - चोरी की वस्तु कहाँ है ? : चोरी का सामान कहाँ है ? यह जानने के लिए सर्वप्रथम प्रश्न लग्न में चर, स्थिर एवं द्विस्वभाव राशि का विचार करना चाहिए। यदि लग्न में चर राशि हो तो चोरी का सामान घर के बाहर, स्थिर राशि हो तो घर में और द्विस्वभाव राशि हो तो घर के पास की खाली जमीन में होता है। घर में सामान होने का योग होने पर यदि लग्न में प्रथम द्रेष्काण हो तो दरवाजे के समीप, द्वितीय द्रेष्काण हो तो मकान के भीतर और तृतीय द्रेष्काण हो तो मकान के पिछले हिस्से में वह सामान होता है। - लग्न में चर और द्विस्वभाव राशि होने पर चतुर्थ स्थान में स्थित ग्रह के अनुसार स्थान का विचार करना चाहिए। यदि प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ स्थान में शनि हो तो कूड़ा-करकट के ढ़ेर आदि गन्दी जगह, चन्द्रमा हो तो जलाशय के निकट,
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