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( १४४ ) ने कहा है । लग्न शुभ ग्रह एवं स्वामी से (युत) दृष्ट तथा केन्द्र में शुभ ग्रह होने पर सबल होती है अन्यथा निर्बल ।
ग्रह
वस्तुएं
सूर्य
सुगन्धि-द्रव्य, रस, चिकने पदार्थ
चन्द्रमा
रसदार पदार्थ, कपास एवं चाँदी
मंगल
चना, अरहर, मसूर, चावल एवं मूंग आदि
बुध
वंशपान एवं दालें
गुरु.
गेहूं, जो, सरसों, सोना, ईख एवं पीली वस्तु
शुक्र.
धानों के बीज एवं हाथी, घोड़ा, गाय आदि जीव
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शनि.
उड़द, कोदों, कांगनी, नमक, तिल, एवं काली वस्तुएं
भाष्य : इन दो श्लोकों में तेजी-मन्दी के निर्णय का प्रसिद्ध एवं सर्वमान्य सिद्धान्त बताया गया है। यदि प्रश्नकाल में लग्न बलवान हो, अर्थात् लग्नेश एवं शुभ ग्रह से युत दृष्ट और केन्द्र
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