________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उच्च एवं नीच के विचार के प्रसंग में परमोच्च एवं परमनीच का महत्त्वपूर्ण विवेचन भी प्रायः फलितशास्त्र के सभी मान्य ग्रन्थों में मिलता है, जो इस प्रकार है—सूर्य का मेष राशि के प्रारंभिक १० अंश तक परमोच्च है और तुला के १० अंश तक परमनीच है। चन्द्रमा का वृषभ के ३ अंश तक परमोच्च है तथा वृश्चिक के ३ अंश तक परमनीच है। मंगल का मकर के २८ अंश तक परमोच्च तथा कर्क के २८ अंश तक परमनीच है। बुध का कन्या के १५ अंश तक परमोच्च तथा मीन के १५ अंश तक परमनीच है। गुरु का कर्क के ५ अंश तक परमोच्च तथा मकर के ५ अंश तक परमनीच है। शुक्र का मीन के २७ अंश तक परमोच्च तथा कन्या के २७ अंश तक परमनीच है।' इसी प्रकार शनि का तुला के २० अंश तक परमोच्च एवं मेष के २० अंश तक परमनीच है। प्रत्येक ग्रह परमोच्च के पठित अंशों में स्थित होकर परम शुभ फल और परम नीच के पठित अंशों में स्थित होने पर परम अशुभ फल देता है।
१. सूर्यादितुङ्गक्षमजोक्षनक्रकन्याकुलीरान्त्यतुलालव' : स्युः । __ दिग्भिगुंणैरष्टयमैः शरेकैर्भूतैर्भसंख्यैर्नखसम्मितैश्च ।।
ताजिक नील कंठी संज्ञातन्त्रम्
For Private and Personal Use Only