________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
यह जानने के लिए प्राचार्य ने ग्रहों की तीर्यग् आदि दृष्टि का विवेचन किया है। नष्ट पदार्थ की प्राप्ति के योगों से उसके लाभालाभ का विचार कर लेना चाहिए। यदि योगकारक ग्रहों पर बुध अथवा शुक्र का प्रभाव हो तो नष्ट वस्तु दीवार के कोने में स्थित होती है। यदि योगकारक ग्रह मंगल अथवा सूर्य हों, या इन दोनों में से किसी एक से प्रभावित हों, तो वह वस्तु किसी ऊँचे स्थान (आला, छत, चौबारा या टाँड आदि) पर रखी होती है। यदि योगकारक ग्रह गुरु या चन्द्र हों अथवा इनसे प्रभावित हों, तो वह पदार्थ समतल भूमि में (किसी कमरा
॥तिर्यगादिदृष्टिफलचक्रम् ॥
ग्रह
दृष्टि
स्थान
बुध, शुक्र | तिर्यग्दृष्टि | दीवार, कोना, आदि
मंगल, सूर्य | ऊर्ध्वदृष्टि | आला, छत, चौबारा एवं भूमि के ऊपर
के अन्य स्थान
गुरु, चन्द्र |
समदृष्टि
कमरा, बराण्डा, आँगन आदि समतल
स्थान
शनि, राहु | अधोदृष्टि | तहखाना, सुरंग एवं भूमि के नीचे के
स्थान .
For Private and Personal Use Only