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( ६६ ) महत्व रखती हैं। गर्भाधान या प्रश्न के समय सूर्य, चन्द्र, मंगल गुरु और शुक्र द्विस्वभाव राशि या द्विस्वभाव राशि के नवमांश में स्थित हों तो यमल का जन्म होता है । आचार्य वराहमिहिर कल्याण वर्मा एवं गुणाकर आदि ने यही मत व्यक्त किया है। वृहज्जातक में कहा गया है कि यदि गुरु और सूर्य मिथुन और धनु राशि या इनके नवमांशों में स्थित हों तथा इन पर बुध की दृष्टि हो तो दो लड़कों का जन्म होता है। यदि चन्द्रमा, मंगल और शुक्र, कन्या और मीन राशि या इनके नवमांशों में स्थित हों तो दो कन्याओं का जन्म होता है। मिश्रित स्थिति में एक पुत्र और एक कन्या का जन्म जानना चाहिए। पुत्र, कन्या जन्म विचार
प्रश्न शास्त्र में पुत्र और कन्या के जन्म के सम्बन्ध में काफी विचार किया गया है । इस का आधार अधिकांशतया पुरुष और स्त्री संज्ञक राशियों में पुरुष एवं स्त्री संज्ञक ग्रहों की स्थिति एवं दृष्टि है। मेष, मिथुन एवं सिंह आदि विषम राशियां पुरुष संज्ञक तथा वृष, कर्क एवं कन्या आदि सम राशियां स्त्री संज्ञक कही गयी हैं। श्लोक ४० में स्त्री एवं पुरुष ग्रहों का निरूपण किया जा चुका है, जिसके अनुसार सूर्य, मंगल और गुरु पुरुष ग्रह हैं तथा चन्द्र, बुध, शुक्र, शनि और राहु स्त्री ग्रह माने गये हैं।
यदि प्रश्न लग्न में पुरुष राशि या उसका षड्वर्ग हो और उस पर बलवान पुरुष ग्रह की दृष्टि हो तो पुत्र का जन्म होता है। यदि लग्न में स्त्री राशि या उसका षड्वर्ग हो और उस पर स्त्री ग्रहों की दृष्टि हो तो कन्या का जन्म कहना चाहिए।
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