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( ६७ ) इसी प्रकार पंचमेश और लग्नेश विषम राशि में स्थित हों तो पुत्र तथा समराशि में स्थित हों तो कन्या का जन्म होता है। यदि पुरुष राशि में स्थित लग्नेश पुरुष राशि में स्थित पंचमेश को देखे तो पुत्र का जन्म तथा स्त्री राशि में स्थित लग्नेश स्त्री राशि में स्थित पंचमेश को देखे तो कन्या का जन्म होता है। कुछ विद्वानों ने सम और विषम भावों में शनि की स्थिति वश कन्या और पुत्र के जन्म का विचार किया है।
यमल योग का उदाहरण ___ गर्भ सम्बन्धी प्रश्न के समय की निम्नलिखित कुण्डलियां देखिये..
इस कुण्डली में लग्न, तृतीय सप्तम और द्वादश स्थान में दो दो ग्रह स्थित हैं। अतः ग्रन्थकार के अनुसार यमल योग है।
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२४ इस कुण्डली में कन्या (द्विस्वभाव) राशि लग्न में है और पंचम स्थान में दो शुभ ग्रह बुध एवं शुक्र बैठे हैं। अत: यमल योग स्पष्ट है। यहां पंचम स्थान
में सम राशि होने के कारण दो कन्याओं का जन्म होगा, यह कहना चाहिए।
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