________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ११८ ) में चोर दस्यु आदि का भय होता है। (३) यदि सूर्य सिंह राशि में हो तथा चन्द्रमा या मंगल
अष्टम स्थान में हो तो शस्त्र भय होता है। (४) यदि नवम स्थान में शनि शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो
प्रवासी रोगी होता है। (५) यदि केन्द्र में पाप ग्रह शुभ ग्रहों से दृष्ट न हो तो
प्रवासी बन्धन या प्रताड़न प्राप्त करता है। २५. अय पथिकगमानगमनद्वारम्
चतुर्थे दशमे वापि यदि सौम्यग्रहो भवेत।
तदा न गमनं क्रूरैस्तत्रैव गमनं भवेत् ॥११०॥ अर्थात् यदि चतुर्थ या दशम स्थान में शुभ ग्रह हो तो गमन नहीं होता और पाप ग्रह हों तो गमन होता है।
__ भाष्य : चतुर्थ स्थान घर और गृह सुख का तथा दशम स्थान व्यापार एवं समाजिक प्रतिष्ठा का प्रतिनिधि है । अतः इन स्थानों में शुभ ग्रह होने पर गृह-सुख और व्यापार की वृद्धि होती है। परिणामतः इसमें व्यक्त व्यक्ति यात्रा नहीं कर पाता किन्तु यदि इन स्थानों में पाप ग्रह स्थित हों तो घरेलू और व्यापारिक समस्यायें उत्पन्न होती हैं। तथा इन समस्याओं का समाधान करने के लिए व्यक्ति को देश-विदेश की यात्रा करनी पड़ती है। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर सम्भवतः ग्रन्थकार ने कहा है कि यदि प्रश्न लग्न से चतुर्थ और दशम स्थान में शुभ ग्रह हों तो यात्रा नहीं होती किन्तु पाप ग्रह हों तो यात्रा अवश्य होती है। अन्य आचार्यों ने भी इस मत का समर्थन किया है। यात्रा के इस प्रसंग में एक बात ध्यान रखने वाली
For Private and Personal Use Only