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( १२७ ) बुध : सन्निपात, त्रिदोष, क्षय, मिरगी एवं मस्तिष्क की
नस फटना। गुरु : अजीर्ण, वमन, हैजा, गुल्म, पथरी एवं गैस । शुक्र : जलोदर, पाण्डु, मधुमेह श्लेष्मा एवं गुप्त रोग । शनि : स्नायविक दुर्बलता, लकवा, केन्सर व वायुविकार । राहु : कुष्ठ, एलर्जी (शोथ) पौरुष ग्रन्थि का बढ़ना।
केतु : चेचक, ब्रण, रक्तविकार एवं संक्रामक रोग। देव दोष विचार
यदि प्रश्न लग्न से ३, ६ एवं १२वें स्थान में पाप ग्रह हों तो रोग का हेतु किसी देवता का कोप, श्राप या अवज्ञा माननी चाहिए। इन पाप ग्रहों में से जो वलबान हो तथा वह जिस राशि में स्थित हो उस राशि के अनुसार देवता का निश्चय निम्न चक्र के आधार पर कर लेना चाहिए।
राशि
| देवता
राशि | देवता
राशि
दवता
मेष
कुल देव
सिंह |
कुल देवी
| धनु
यक्ष
पितृगण
कन्या
योगिनी
मकर
प्रेत
मिथन । शाकिनी
तुला । | यक्षिणी
कुम्भ
वरुण
क्षेत्रपाल | वृश्चिक | नाग
क्षेत्रपाल
वृश्चिक
| नाग
।
मीन
इष्टदेव
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