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४ नवमांश भुक्त और ४ नवमांश भोग्य हैं। वर्तमान नवमांश की २० कलागत और १८० कला भोग्य है। यहां उक्त रीति से अनुपात करने से १८०४ ३० _२७ दिन
२०० २७ दिन लब्धि आयी। इसलिए प्रश्न दिन से चार मास एवं २७ दिन बाद प्रसव होगा, यह फलादेश करना चाहिए। १६. अथापत्ययुग्न प्रसव द्वारम्
पृच्छालग्ने च चत्वारि ग्रहयुग्मानि सन्ति चेत् ।
यत्र तत्र व युग्मस्य प्रसवं ब्रवते बुधाः ॥८६॥ अर्थात यदि प्रश्न लग्न (प्रश्नकुण्डली) में जहां कहीं भी चार स्थानों में दो-दो ग्रह स्थित हों तो यमल सन्तानों का जन्म होता है। ऐसा विद्वानों का कथन है।
भाष्य : प्रश्न कुण्डली में किन्हीं चार भिन्न भिन्न स्थानों में दो-दो ग्रह बैठे हों तो दो सन्तानों का जन्म होता है यह ग्रन्थकार का मत है। किन्तु अन्य आचार्यों ने यमल सन्तति के जन्म की जानकारी देने वाले एक अन्य योग का निरूपण किया है, जो आज भी ज्योतिष जगत में प्रचलित और लोकप्रिय है। यदि प्रश्न लग्न में द्विस्वभाव (मिथुन, कन्या, धनु एवं मीन) राशि हो तथा लग्न में या पंचम स्थान में शुभ ग्रह बैठे हों तो यमल (जुड़वां) सन्तति का जन्म होता है। यदि लग्न में मिथुन और धनु ये पुरुष राशियां हों तो दो पुत्र तथा यदि कन्या और मीन ये स्त्री राशियां हो तो दो कन्याओं का जन्म होता है।
यमल के जन्म के प्रसंग में द्विस्वभाव राशियां अपना विशेष
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