________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( १०० ) तो प्रश्नकर्ता की पत्नी रखेली होती है। कारण यह है कि चतुर्थ स्थान प्राणियों में परम मित्रता और घनिष्ठ सम्बन्ध का द्योतक है। तथा स्त्री एवं पुरुष की यह मैत्री और सम्बन्ध उन्हें विवाह के बिना भी पति पत्नी के रूप में रहने को विवश कर देते हैं, अस्तु। ___ सप्तमभाव परिणीता पत्नी का प्रतिनिधि भाव है। अतः इस स्थान पर शुभ ग्रहों की युति, दृष्टि या राशिवश शुभ प्रभाव होने से स्त्री विवाहिता होती है।
ऋरिते च चतुर्थे स्यात्परिणीता तिम्बिनी। सप्तमे क्रूरिते वा स्यावृतैव हि कुटुम्बिनी ॥२॥ उभयोः सौम्यतां प्राप्ते द्वे स्तो धृतविवाहिते ।
उभयोः क्रूरतां प्राप्ते न धृता न विवाहिता ॥३॥ अर्थात चतुर्थ स्थान क्रू र प्रभावयुक्त होने पर स्त्री विवाहिता तथा सप्तम स्थान पाप प्रभावयुक्त होने पर स्त्री रखेली होती है। उक्त दोनों स्थान शुभ होने पर एक रखेली और एक विवाहिता तथा दोनों स्थान पाप प्रभावग्रस्त होने पर न तो रखेली और न ही विवाहिता (स्त्री की प्राप्ति) होती है ।
भाष्य : स्त्री लाभ का योग होने पर यदि चतुर्थ स्थान पाप ग्रहों की युति, दृष्टि या राशि के प्रभाववश पापत्वग्रस्त हो तो व्यक्ति का अन्य स्त्री के साथ स्नेह या घनिष्ठ सम्बन्ध न होने के कारण उसकी पत्नी विवाहिता होती है। यदि इस स्थिति में सप्तम स्थान पाप प्रभावग्रस्त हो तो परिणिता पत्नी के होने की सम्भावना का अभाव होने के कारण उसकी स्त्री रखेली होती है। इसी प्रकार यदि उक्त दोनों स्थान शुभ प्रभाव
For Private and Personal Use Only