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( ३५ ) हो, उसके अनुसार मनुष्य के वर्ण या जाति निर्णय सुगमतापूर्वक किया जा सकता है।
स्थूल इन्दुः सितः षण्ढश्चतुरस्रौ कुजोष्णगू।
वर्तुलौ सौम्यधिष्णो दीघौं शनिभुजङ्कमौ ॥३१॥ अर्थात् चन्द्रमा स्थूल (मोटा) शुक्र षष्ठ (दुर्बल) सूर्य एवं मंगल चतुरस (वर्गाकार या समान आकार), गुरु एवं बुध वर्तुल (गोलाकार) तथा शनि एवं राहु दीर्घाकार (लम्बे) आकार के है।
भाष्य : मूक प्रश्न एवं नष्ट या अपहृत पदार्थ की आकृति को जानने के लिए यहाँ ग्रहों के आकार का निरूपण किया गया है। प्रश्न लग्न पर ग्रहों के प्रभाव तथा उनकी आकृति की जानकारी की सहायता से चोरी गई वस्तु का परिमाण और उसकी आकृति का निश्चय किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, यदि प्रश्नकुण्डली में लग्न से चन्द्रमा का सम्बन्ध हो, तो व्यक्ति या पदार्थ स्थूल (मोटा) होता है। यहाँ शुक्र को षष्ठ कहा गया है। जिसका व्यापक अर्थ निर्वीर्य या निर्बल ग्रहण किया गया है । यद्यपि शुक्र का लग्न से सम्बन्ध होने पर व्यक्ति दुर्बल होता है किन्तु उसका व्यक्तित्व आकर्षक और आकृति कमनीय होती है भट्टोत्पल का भी यही मत है। इसी प्रकार लग्न पर ग्रहों के प्रभाववश व्यक्ति और पदार्थों की आकृति का विचार किया जा सकता है।
रक्तवर्णः कुजः प्रोक्तो धिषणः कनकधु तिः । शुकपिच्छसमः सौम्यो गौरकान्तिरथोष्णगुः ॥३२॥
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