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( ४३ ) भाष्य : सूर्यादि आठ ग्रहों में से सूर्य, मंगल एवं गुरु इन ३ ग्रहों को आचार्य ने पुरुष ग्रह माना है और शेष को स्त्री ग्रह । किन्तु कुछ विद्वान् बुध को नपुंसक ग्रह मानते हैं।
जीव सम्बन्धी प्रश्न में अमुक जीव पुरुष है या स्त्री यह निश्चय करने के लिए लग्न के साथ और योग कारक ग्रहों के साथ पुरुष ग्रह या स्त्री ग्रह का सम्बन्ध होने पर पुरुष या स्त्री का निर्णय करना चाहिए। गर्भ प्रश्न में पुत्र अथवा कन्या का जन्म, चोर प्रश्न में स्त्री-पुरुष का निर्णय और लाभादि के प्रश्न में पुरुष या स्त्री जिससे लाभ होगा आदि का विचार भी इसी आधार पर किया जाता है ।
युवा कुजः शिशः सौम्यः शशिशको च मध्यमौ ।
मन्दमार्तण्डदेवेज्यफणिनः स्थविराः ग्रहः ॥४१॥ अर्थात् मंगल युवक, बुध बालक, चन्द्रमा एवं शुक्र मध्य अवस्था (प्रौढ़) तथा शनि, सूर्य, गुरु एवं राहु वृद्ध हैं।
भाष्य : जीव सम्बन्धी प्रश्न में उसकी अवस्था जानने के लिए ग्रहों की अवस्था का निरुपण किया गया है। चोरी के प्रश्न में भी चोर की आयु का निर्णय इसी आधार पर किया जाता है । उदाहरणार्थ चोरी के प्रश्न में चतुर्थ स्थान से मंगल का सम्बन्ध हो तो चोर युवक होता है। इसी प्रकार बुध का सम्बन्ध हो तो बालक, चन्द्रमा और शुक्र का सम्बन्ध हो तो प्रौढ़ तथा सूर्य, गुरु, शनि या राहु का सम्बन्ध हो तो वह वृद्ध होता है। आचार्य नीलकण्ठ दैवज्ञ का भी लगभग यही मत है।'
१. चौरस्य वयो ज्ञाने सिते युवा शिशुर्गरौ मध्यः। तरुणो भौमे मन्दे वृद्धोऽर्के स्यादति स्थविरः ।।
ताजि० नील० प्रश्नतन्त्र
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