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योग पूर्णत: बनता है । अतः पृच्छक को शीघ्र सन्तति लाभ
होगा ।
एक अन्य ने विवाह का प्रश्न मेष लग्न में किया । ग्रहस्थिति के अनुसार कुण्डली बनायी गयी । इस कुण्डली में लग्नेश मंगल की कार्यभाव (सप्तम) पर पूर्ण
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दृष्टि है और कार्येश शुक्र की लग्न
पर पूर्ण दृष्टि है तथा चन्द्रमा की भी शुक्र पर पूर्ण दृष्टि है । अतः यहाँ पूर्वोक्त योगों में द्वितीय योग पूर्णरूपेण घटता है । इस स्थिति
को देखकर सम्पन्न एवं कुलीन परिवार की सुन्दर कन्या से विवाह होगा यह फलादेश किया गया ।
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एक सुशिक्षित किन्तु बेरोजगार युवक ने वृष लग्न में नौकरी का प्रश्न किया । उसकी प्रश्न कुण्डली इस प्रकार है : इस कुण्डली में लग्नेश शुक्र और कार्येश शनि की परस्पर दृष्टि है तथा चन्द्रमा की शुक्र पर पूर्ण दृष्टि है । यहाँ तृतीय योग के अनुसार अच्छे पद पर शीघ्र सरकारी नौकरी लगने का फल बतलाया
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गया, जो परीक्षा की कसौटी पर खरा उतरा ।
ग्रन्थकार ने अपने दीघकालीन अनुभव और शास्त्रीय ज्ञान के आधार पर कार्यसिद्धि के इन ३ योगों का प्रतिपादन किया है । इन योगों के आधार पर फलादेश में एक विलक्षण चमत्कार आ जाता है ।