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अनुक्रमणिका।
८७२
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विषय. घाव में शोधन शोफावस्था में शीतोपचार सूजन और घाव में रक्त हरण नाव के पीछे लेपादि शोफनाशक प्रदेह दाहादि नाशक लेप मेद वेदना में स्वेदादि सूजन पर उपनाहादि उपनाहन में सत्त का गोला सूजन में विदारण प्रयोग पक्व शोफ में विदारक द्रव्य पूय गर्भ सूजन का पीडन लेप विशेष कलायादिक प्रपीडन अन्य प्रयोग व्रण में धोने में काथ घाव के शुद्ध करने वाला लेप घाव के शोधन में वत्ती बातज व्रणों में धूपन पित्तादि ब्रण में कर्तव्य गंभीर व्रण में उत्साहनादि अन्य अवसादन उत्सन्न ब्रों का शोधन घाव में अग्निकर्म घाव को पुराने वाले द्रव्य घाव तिलका कल्क तिलको श्रेष्ठता जौ का कल्क घाव में घृत का प्रयोग रोपण तेल धाव में चूर्ण अन्य चूर्ण त्वचा को शुद्ध करनेवाला लेप सर्वण कारक लेप रोमोद्भव लेप घाव में पथ्य
पृष्टांक. | विषय.
पृष्टांक. वाताधिक्य में बात नाशक प्रयोग ८७१ ब्रण में यथायोग्य औषध घृत का प्रयोग
षडविंशोऽध्यायः । व्रण जुष्ठ आठ प्रकार के अंग ८६७ आठों के लक्षण
सद्योब्रण में सेवन
घाव की गर्मी पर लेप | आपत व्रण की चिकित्सा संसरभ ब्रण का शोधन घृष्टादि की चिकित्सा विक्षत में नहपानादि सात दिन के पीछे का विधान घृष्ट व्रण में चूर्ण
८७३ अवकृत्त की विकित्सा अविलंवित का उपाय स्फुटित नेत्र में कर्तव्य | नेत्र रोग पर घृत | नेत्र का अन्य प्रयोग कान में सीमन छिन्नक करिका में सीमन उक्त रोग में घृत परिषेक हाथमें सीवनादि बिलंवि मुष्कस्य सीवनादि उक्त रोग में तेल छिन्नशाखा का दग्ध करना सिर में वर्ति प्रयोग शल्य निकलने पर स्नेह बस्ति ८७५ गहरे घावों का उपाय | भिन्न कोष्ट में उपाय
आमाशयस्थ रुधिर में कर्त्तव्य | पक्वाशयस्थ रुधिर अभित्राशय का रुधिर से भरना अंत लोहितादि का वर्णन | भामाशयस्थरक्त में वमनादि
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