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श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः णमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स
आगमधर सरि
पहला अध्याय महापुरुष का शैशवकाल
जहँ। अनन्त उपकारी तीर्थंकर भगवान्, गणधर महाराज आदि अनेक महापुरुष हुए हैं उस दक्षिणार्घ भरतक्षेत्र के मध्य खंड में 'गुजरात' नामक प्रदेश है। इस गौरवमय गुजरात में देशकी शान बढ़ानेवाला एक नगर है जो अपने प्रसिद्ध वन-उद्योग के कारण 'कर्पट वाणिज्य' कहलाता था परन्तु लोगो में 'कपडवंज' के नाम से विख्यात है।
यहाँ के जिनालय एवं जैनेतरों के मंदिर इस नगर की धर्म-भावना के साक्षी हैं। दया और दान इस नगर के विशिष्ट गुण हैं। नगरकी महिलाएँ शील और सदाचारसे अलंकृत थीं। उनमें रूप-लावण्य था परन्तु उच्छृखलता नहीं थी। ____ वीतराग परमात्मा के शासन के अनुयायी अनेक समृद्ध श्रावक परिवार इस नगर की विशिष्ट शोभा एवं प्रतिष्ठा में अभिवृद्धि करते थे। इन में श्रेष्ठिवर्य श्री मगनभाई का नाम अम्मान-पात्र एवं लक्ष्मीका विश्रामगृह था।