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· माघ वदी १ रवि ता. २१-२-४३ शांति विधान, दीक्षा ग्रहण के बाद की अवशिष्ट क्रियाएँ, अधिवासना आदि आदि ।
माघ वदी २ सोम ता. २२-२-४३ केवल ज्ञान कल्याणक तथा शुभ लग्न में अंजनशलाका आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री भानंदसागरसूरिजी के बरद हस्तों से होगी। केवल ज्ञान का जलूस, समवसरण, मोक्षकल्याणक, बृहदभिषेक। __माघ वदी ३ मंगल, ता. २३-२-४३ अष्टोत्तरी स्नात्र महोत्सव ।
माघ वदी ४ बुध, ता. २४-२-१३ चैत्याभिषेक।
माघ वदी ५ गुरु, ता. २५-२-४३ प्रभुजी का गद्दी पर विराजमान करना तथा भव्य बृहत् शांति-स्नात्र । .
___ माघ वदी ६ शुक्र २६-२-४३ द्वारोदघाटन, सत्रहभेदीपूजा, आदि। ...... ---- -
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भब आप पूज्य श्री संघ से हमारा विनयपूर्वक नम्र निवेदन है कि आप उपर्युक्त अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव आदि मांगलिक प्रसंगों पर उपस्थित रह कर महोत्सव का लाभ लेते हुए हमारे आनन्द एवं शासनशोभा की अभिवृद्धि कीजिएगा।
- यहाँ पधारने से सम्यादर्शनादि रत्नत्रयी . के . कारणभूत परम पावन तीर्थाधिराज श्री शत्रुजय गिरि के दर्शन पूजन के लाभ के साथ साथ यहाँ बिराजमान तथा यहाँ महोत्सव में पधारनेवाले पूज्य भाचार्य महाराजाओं तथा उपाध्यायजी महाराजाओं, पन्यासजी