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वि. सं. १९६१ पेथापुर में प्रान्तीय परिषद् में ओजस्वी व्याख्यान, और कपडवंज में चातुर्मास । व्याख्यान के कारण अनेक आत्माओं में चारित्र की भावना जगी ।
वि. सं. १९६२ भावनगर में चातुर्मास ।
वि. सं. १९६३ सूरत में अपूर्व चातुर्मास, धर्मदेशना में अपूर्व जागृति, भक्ति और भावना की बाढ -उसके परिणाम स्वरूप
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वि. सं. १९६४ सूरत में भव्य नगर - यात्रा - जिन मंदिरों में चतुर्विध संघ के साथ यात्रा | सेठ श्री देवचंद लालभाई पुस्तकोद्वार फंड की स्थापना । शिखरजी पर्वत की पवित्रता के लिए आन्दोलन, सम्पूर्ण शिखरजी पहाड़ को खरीदना । बंबई लालबाग में चिरस्मरणीय चातुर्मास ।
वि. सं १९६५ बंबई से झवेरी अभयचंद स्वरूपचंद की ओर से अंतरिक्षजी तीर्थका छह 'री' पालते हुए संघ | अंतरिक्षजी में दिगम्बरों के बंगल पर विजय, न्यायालय ने पूज्य श्री की निर्दोषिता घोषित की। यूरोपीय न्यायाधीश भी पूज्य श्री के भक्त बने । येवला (महाराष्ट्र) में चातुर्मास और उपधान ।
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वि. सं. १९६६ सूरत में चातुर्मास, उपधान तप की आराधना अपूर्व जागृति ।
बि. सं. १९६७ सूरत में चातुर्मास ।