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. ओली की आराधना, पैंतालीस आगमों के महातप की
आराधना । श्रावकों में धर्म भावना एवं विरति भावना जागृत और स्थिर हो, इस हेतु से 'देशविरति धर्म आराधक
समाज' नामक संस्थाकी स्थापना । वि. सं. १९८५ पूज्य श्री के वरद करकमलों से उद्यापन महोत्सव
एवं योगोद्ववन करवाकर मुनिराज श्री माणिक्य सागरजी महाराज को गणीपद, पंन्यास पद तथा भोयणी तीर्थ में उपाध्याय पद अर्पण । शत्रुजय तीर्थ की यात्रा-रक्षा के लिए लाखों रुपयों का फंड । शत्रंजय पर्वत की तलहटी में नवपदजी की ओलीका विशाल सामूहिक आराधन। जामनगर
में चातुर्मास । अनेक तपों की आराधना । वि. सं. १९८६ पूज्यश्री की देखरेख में अनेक आत्माओं ने सूरत
में सामूहिक रूप से नवपद की महा आराधना की । श्री रत्नसागरजी जैन विद्याशाला का स्थायी फंड, तथा सेठ नगीनभाई मंछुभाई जैन साहित्योद्वारक फंड' नामक संस्थाकी स्थापना । 'नवपद आराधक समाज' 'दि यंगमेन्स जैन सोसायटी'
और 'देशविरति धर्म भाराधक समाज' इन तीनों संस्थाओं
का विशाल सम्मेलन । खंभात में चातुर्मास । बि. सं. १९८५ पूज्यनी के उपदेश और मार्गदर्शन से अहमदाबाद
में विशाल 'जैन साहित्य प्रदर्शन' ! अहमदाबाद में चातुर्मास ।