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श्री जैन आगमोदय समिति की स्थापना पाटन-विक्रम संवत् १९७१ भाद्रपद शुक्ला १०-११, शनि, रवि । . इस अत्युत्तम और उपयोगी संस्था की स्थापना तो पंन्यासजीश्री आनन्दसागरजी, पं. मेघविजयजी, ५० मणिविजयजी आदि अनेक मुनिराजों की सम्मति से उनकी उपस्थिति में गत माघ सुदी १० को श्री भोयणी तीर्थ में की गई थी; परन्तु उसकी आधुनिक काल के अनुसार कमिटी आदि की व्यवस्था अनेक कारणों से तुरन्त नहीं हो सकी थी, सेा भादों सुदी १०-११ इन दो दिनों में श्री पाटन में मिल कर की गई है।
विक्रम संवत् १९७१ माघ सुदी १० से उपर्युक्त समिति के कार्य का प्रारंभ किया गया है। समिति के निम्नलिखित दो मुख्य कार्य निर्धारित किये गये हैं :
(१) जैनागम-पंचांगी सहित-मुनिराज से शुद्ध करवा कर श्रेष्ठ कागज पर सुन्दर टाइप में छपाने की व्यवस्था करना।
(२) आगम के बोधवाले विद्वान् मुनिराज से जैनागम की नाचना अनेक मुनिराज ले सके ऐसी योजना करना।
उपरिलिखित दोनों कार्यों में से प्रथम कार्य के लिए पंन्यासजी आनन्दसागरजी की देखरेख में आगमों की टीका सहित शुद्ध प्रेस कापी बनवाने का कार्य शुरू होने पर उसे छपाने के लिए निर्णय सागर प्रेस में प्रबन्ध किया । उस के लिए खास आर्डर से श्रेष्ठ कागज मँगवा कर उस पर मुद्रण शुरू किया गया है।
फिलहाल समिति की ओर से श्री आवश्यकसूत्र हारिभद्रीय टीका सहित और श्री आचारांगसूत्र शीलांकाचार्यकृत टीका सहित