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यह कार्य अत्युत्तम और हर प्रकार से सहायता देने योग्य है। पूर्वकाल में विद्यमान आगमवाचना की उत्तम शैली का इससे पता लगता है । साथ ही आगमों की अशुद्ध प्रतियों को शुद्ध करने का और एक प्रति शुद्ध होने के बाद उसकी जितनी प्रतिया छपाई जाएँ उन्हें लेनेवाले सब को यह लाभ प्राप्त होने का यह शुभ प्रसंग है।
उत्तम जीवों के लिए दोनों कार्यों के सम्बन्ध में अपने तन-मन-धन से लाभ लेना योग्य है। उक्त कार्यों में हमारी हार्दिक सहानुभूति है।
__ श्री पालीताना में इस शुभ दिन को पूज्य आचार्य श्री आनंदसागरसूरिजी के स्वामित्व में आगम वाचना का प्रारंभ हुआ है। अभी प्रारंभ में श्री ओघनियुक्ति और पिंडनियुक्ति की वाचना शुरू की गई है। ये दो सूत्र पूर्ण होने के बाद चातुर्मास में श्री भगवती सूत्र की वाचना होगी, जो लगभग चातुर्मास के अन्त तक चलेगी । यह वाचना सुबह शाम दो बार करीब पांच घंटे चलती है। आचार्यश्री सूत्र पढ़ते हैं और वाचना में भाग लेनेवाले भीतर ही भीतर उसका मनन कर लेते हैं। वाचना का दृश्य सचमुच दर्शनीय-आकर्षक है। वाचना में भाग लेने के लिए पं. मणिविजयजी आदि बहुत से गुणी मुनि महाराजा पालीताना में चातुर्मास करनेवाले हैं। पालीताना में इस बार चातुर्मास में मुनि महाराजों और साध्वियों की अच्छी खासी संख्या होगी ऐसी हमारी धारणा है । हमारा अनुमान है कि इस शुभ प्रसंग का लाभ पाने वाचना में भाग लेने और सुपात्र दान का आनन्द लूटने के लिए धनवान जैन बंधु बड़ी संख्या में गालीताना चातुर्मास करने भाएँगे।