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एकत्र हो कर चर्चा करते हैं। इस प्रकार साधु समुदाय के प्रसंग के कारण पर्दूषण पर पालीताना में श्रावक बन्धुभों की अच्छी खासी संख्या उपस्थित थी। बहुत से सज्जन चातुर्मास करने आये हैं, और पयूषण करने भी बहुत से सज्जन आये थे। इस शुभ प्रसंग पर पालीताना में सोने चांदी का रथ माने पर उसके प्रवेश महोत्सव में पालने और सपनों के घो आदि की बहुत अच्छी माय हुई थी। सेठ नगीनचंद कपूरचंद झवेरी की धर्मपत्नी रुक्मिणी बहन की भोर से कल्पधर के राज व्याख्यान में रुपये की प्रभावना हुई थी और गबूसाहब जीवनलालजीने रु १.०१ से कल्पसूत्र वाराया था। इनके अतिरिक्त और भी बहुत सी प्रभावनाएं थीं।
एक साध्वीजीने दो मास के उपवास किये थे। इसके अतिरिक्त पैंतीस उपवासवाले १ , एक मास के उपवास बाले २०, पन्द्रह और उससे अधिक उपवासवाले १.५, अट्ठाई और उससे अधिकवाले १७१ व्यतिइतनी तपस्याएँ हुई थीं। सेठ पोपटलाल धारसीमाई आमनमरबाले यहाँ चातुर्मास रहे हुए हैं और बहुत उदारता पूर्वक द्रव्य व्यय हैं। उनकी ओर से पारणे के दिन सब साधर्मिक बन्धुओं को पारणा कराया गया था और तपस्वियों की यथोचित भक्ति की गई थी। धनप्राप्ति का यह सद्व्यय है। समयानुकूल धनव्यय करने की इच्छा प्रकट करनेवाले बन्धुगण पालीताना क्षेत्र में जो उदारता पूर्वक धनव्यय हुआ उसका वृत्तान्त सुनकर भाश्चर्यचकित हो जाएँ यह संभव है। सभी मार्गों में धन व्यय उत्तम है इच्छानुसार उत्तम मार्ग में धन व्यय करनेवाले की सर्वदा प्रशसा होती है। धन व्यय करने का जो उपदेश देता है परन्तु अपने पास का धन खर्च नहीं करता, ममता-मूर्छा का साग नहीं करता उसकी अपेक्षा धन व्यय कर के अपनी प्राप्त सम्पत्ति का आनंद लेनेवाला बहुत श्रेष्ठ और प्रशंसापात्र है। इच्छा की वृद्धि हो उस तरह समयानुसार पन खर्च करने का हम सभी बगाने को सुझाव देते हैं।
विक्रम बंद १९७६