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छप रहे हैं। सेठ देवचंद लालभाई पुस्तकोद्धार फंड की ओर से श्री अनुयोगद्वारसूत्र और श्री उत्तराध्ययन सूत्र टीका सहित छपाने की व्यवस्था की गई है। उक्त चारों सूत्रों के कुछ फमें छप चुके हैं। तदुपरांत श्री उववाइसूत्र की प्रेस कॉपी तैयार हो गई है, श्री पिंडनियुक्ति की तैयार हो रही है और अन्य सूत्रों के लिए भी प्रयत्न जारी है।
इस कार्य के लिए सेठ वेणीचंद सुरचंद के प्रयासों से आर्थिक सहायता प्राप्त करना भी शुरू किया गया है, और उस में भी अच्छी रकम प्राप्त हुई है। आगे प्रयत्न जारी है।
द्वितीय कार्य के लिए स्थान श्री पाटण निश्चित कर गत वैशाख वदी ६ से पाचना का कार्य प्रारंभ किया गया है। पंन्यासजी आनन्दसागरजी वाचना देते हैं, और तीस मुनिराज तथा दस साध्विया उसका लाभ ले रहे हैं। दो बार दो दो घंटे वाचनां चलती है। सुबह श्री दशवकालिक हारिभद्रीय टीका की वाचना चलती थी सेा अब पूर्ण हो गई है । अतः दोपहर को चलती हुई सूत्रकृतांग सूत्र की बाचना अब दोनों जून चलती है। चातुर्मास समाप्ति तक उसके पूर्ण होने की संभावना है।
विक्रम संवत् १९७१ के भाद्रपद सुदी १० और ११ को जो मीटिंग हुई थी उस में समिति के सुव्यवस्थित संचालन के लिए एक जनरल कमिटी नियुक्त की गई है, मंत्रियों की नियुक्ति की गई है और समिति सम्बन्धी नियम पास किये गये हैं। इस का सारा विवरण उपर्युक्त समिति की ओर से छप कर प्रकाशित होनेवाला है।