Book Title: Agamdharsuri
Author(s): Kshamasagar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Samstha

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Page 282
________________ ४९ सिद्धचक गणधर मंदिरका आरंभ। पालीताना में चातुर्मास । उपधान तप की आराधना कराई । वि. सं. १९९८ पालीताना में चातुर्मास, आगम मंदिर के कार्य एवं आगमों के कार्य में अधिक वेग । उपधान तप की आराधना कराई वि.स. १९९९ पालीताना में भव्यातिभव्य अंजनशलाका-प्रतिष्ठा उत्सव, द्विसहस्राधिक जिनबिंबों की माघ वदी (शास्त्रीय - फाल्गुन वदी ) २ के दिन अंजनशलाका | माघ वदी ५ के दिन श्री वर्धमान जैन आगम मंदिर में जिनबिंबों तथा गणधर - बिंबों की मंगलमय प्रतिष्ठा । कपड़बज में नवपदजी की ओली की सामूहिक आराधना । देशविरति धर्म आराधक समाज का पूज्यश्री की देखरेख में सम्मेलन हुआ। कपड़वज में चातुर्मास, मुनि हेमसागरजी को गणी और पंन्यास पद प्रदान । वि. स ं. २००० सुरत में सामूहिक शहर जिन मंदिर यात्रा । बंबई में चातुर्मास । जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स के जैन धर्म : विघातक उपद्रवी प्रस्तावों का सख्त मुकाबला | पुण्यात्माओं में धर्मजागृति । वि. सं. २००१ सूरत में चातुर्मास और धर्म- जागृति । वि. स. २००२ सूरत में श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी पाठशाला की स्थापना | श्री वर्धमान जैन ताम्रपत्र आगम मंदिर के कार्य के लिए 'श्री आगमोद्धारक संस्था' की स्थापना । बाजीपुरा गाँव में प्रतिष्ठा और सूरत में चातुर्मास ।

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