Book Title: Agamdharsuri
Author(s): Kshamasagar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Samstha

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Page 301
________________ ૧૮ पू० आगमोद्धारकश्री द्वारा वर्गीकृत आगमिक ५३ विषय आगमों की महत्ता समझने वाले विद्वानों की दृष्टि में आगम तथा उन के आधार पर रचित प्रौढ़ कृतियाँ सर्वस्व के समान हैं । उन्हें आगमों का अन्यान्य दृष्टिकोण से अवलोकन करने की इच्छा होना स्वाभाविक है । पूज्यश्री ने आगमिक साहित्य सम्बन्धी निम्नलिखित ५३ विषयों पर विचार कर सुव्यवस्थित ढंग से लिखा है : - १ विषयोंका विस्तृत अनुक्रम २ अधिकारों का ( विषयेांका) संक्षिप्त अनुक्रम ३ विशेष उपयोगी ४ विशिष्टताएँ " साक्षीभूत अवतरणका अकार दिकम ६ वाद ७ लक्षण तथा दूषण ८ विशेष नाम ९ इतिहास १० भूगोल ११ ज्योतिष १२ ग्रन्थकार के समय में प्रचलित मत १३ व्याकरण १४ छंद विचार १५ अलंकार १६ न्याय १७ साक्षीभूत ग्रंथ १८ विवेचन ( उपोद्घात) तथा प्रशस्ति १९ आचार्यो के नाम २० प्राचीन मत २१ विभिन्न मते का समाधान २२ सूक्तावली ( पद्यात्मक ) २३ राजकीय २४ प्रज्ञाप्य २५ ले | कि

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