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पू० आगमोद्धारकश्री द्वारा वर्गीकृत आगमिक ५३ विषय
आगमों की महत्ता समझने वाले विद्वानों की दृष्टि में आगम तथा उन के आधार पर रचित प्रौढ़ कृतियाँ सर्वस्व के समान हैं । उन्हें आगमों का अन्यान्य दृष्टिकोण से अवलोकन करने की इच्छा होना स्वाभाविक है । पूज्यश्री ने आगमिक साहित्य सम्बन्धी निम्नलिखित ५३ विषयों पर विचार कर सुव्यवस्थित ढंग से लिखा है :
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१ विषयोंका विस्तृत अनुक्रम
२ अधिकारों का ( विषयेांका) संक्षिप्त अनुक्रम
३ विशेष उपयोगी
४ विशिष्टताएँ
" साक्षीभूत अवतरणका
अकार दिकम
६ वाद
७ लक्षण तथा दूषण
८ विशेष नाम
९ इतिहास
१० भूगोल
११ ज्योतिष
१२ ग्रन्थकार के समय में प्रचलित
मत
१३ व्याकरण
१४ छंद विचार
१५ अलंकार
१६ न्याय
१७ साक्षीभूत ग्रंथ
१८ विवेचन ( उपोद्घात) तथा प्रशस्ति
१९ आचार्यो के नाम
२० प्राचीन मत
२१ विभिन्न मते का समाधान
२२ सूक्तावली ( पद्यात्मक )
२३ राजकीय
२४ प्रज्ञाप्य
२५ ले | कि