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वि. सं. १९५३ छाणी गाँव में चातुर्मास, न्याय शास्त्रोंका अध्ययन, सैद्धान्तिक अध्ययन ।
वि. सं. १९५४ पार्श्वचन्द्र गच्छ तथा जैनेतर आचार्यों के साथ शास्त्रार्थ, कलोल में स्थानकवासियों के साथ शास्त्रार्थ,
विजयोल्लास - पूर्वक खंभात में चातुर्मास ।
वि. सं. १९५५ साणंद में चातुर्मास और प्रभावना ।
वि. सं. १९५६ अहमदाबाद में चातुर्मास ।
वि. सं. १९५७ पुनः अहमदाबाद में चातुर्मास, देशनाओं (उपदेशों) का प्रचार, व्याख्यान में लोगोंकी भीड़, बहुतों का धर्म-मार्ग
पर प्रयाण ।
वि. सं. १९५८ अहमदाबाद में चातुर्मास । पाटन का भीषण दुष्काल । पूज्यश्री के उपदेश से 'दुष्काल राहत निधि' में अपूर्व धनवर्षा ।
वि. सं. १९५९ भावनगर में चातुर्मास, अनेक आत्माओं को देशविरति आदि में लगाया ।
वि. सं. १९६० अहमदाबाद में योगोद्वहन की क्रियाओंके साथ शास्त्रीय विधिपूर्वक गणीपद और पंन्यासपद की प्राप्ति । वहीं चातुर्मास तथा साहित्य-सेवा अथवा श्रुत-भक्ति का विशिष्ट प्रारंभ ।