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भूमिगर्भ भाग में मूलनायक जी पार्श्वनाथ भगवान की सहस्रफनों वाली श्याम प्रतिमाजी बिराजमान होंगी। वहीं पर रंग मंडप में दोनों ओर संग मरमर के सिद्धचक्र मंडल विराजमान किये जाएँगे। मूल गर्भगृह में चरम तीर्थपति श्री महावीर प्रभु की भव्याकृति मूर्ति बिराजमान की जाएगी। सर्वोच्च मंजिल पर मूलनायकजी श्री आदीश्वर भगवान् की मूर्ति बिराजमान होगी। रंगमंडपों में समवसरण तथा गोखों में भगवान के बिंब बिराजमान किये जाएँगे । दीवारों पर पैतालीसों आगमों के ताम्रपत्र सुन्दर चेनल में फिट करके चिपकाये जाएगे । संवत् १९९९ के वर्ष में अनन्त तीर्थंकरों, गणधरों भादि से परम पवित्र हुए सिद्धक्षेत्र में जिनकी अंजनशलाका हुई उनमें से १२० जिन-बिंब लाकर हमने अलग मकान में विराजमान किये हैं; उन जिन-बिंबोंका शास्त्रोक्त विधि-विधान के साथ भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव करनेका निर्णय किया है ।
: महा महोत्सव के मंगलकारी महामुहूर्त : पौष वदी १० बुधवार ता. ४-२-४८ सुबह कुंभ स्थापना, तथा प्रभुजीका प्रवेश, दीपस्थापना और जवारा स्थापना।
पौष वदी ११ गुरुवार ता. ५-२-४८ जलयात्रा विधि । पौष वदी १२ शुक्रवार ता. ६-२-४८ नवाणु प्रकारी पूजा। .
पौष वदी १२ (द्वितीय) शनिवार ता. ७-३-४८ ग्रहपूजन, दशदिक्पाल । पूजन, अष्ट मंगल पूजन तथा नन्दावर्त पूजन ।।