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आगमधर सूरि
आशीर्वचन
"पुण्यवाना ! आज सूरत के आंगन में एक प्रतिभासंपन्न तथा शासन - प्रभावक पुरुष को आचार्य - पदवी दी गई है। सूरत शहर का सौभाग्य है कि ऐसे पुण्य-प्रसंग का लाभ उसे मिला है ।
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"पं. श्री आनन्द सागरजी गणि 'आगमेाद्धारक' नाम से सुख्याति - प्राप्त हैं ! अब उन्हें शास्त्रीय आचार्य पद प्राप्त हुआ है । उनसे कहना चाहता हूँ कि 'आप इस पद को सुन्दर ढंग से निभाएँ, शासन को आलोकित करें । आप में अद्भुत गुण है । आप शक्ति - सम्पन्न हैं । आपने लोगोंका बहुत प्रेम - सम्पादन भी किया है, परन्तु अब से आप पर एक और बड़ी जिम्मेदारी आ रही है, शासन में दिखाई देता है उसे दूर करने का सतत प्रयत्न करना |
आज जो अंधकार
"मेरा पूर्ण विश्वास है कि आपको आचार्य पदका या लेोकेषणा का मोह नहीं है । साथ ही आप कई बार शासन के लिए स्पष्ट वक्ता बन कर लोगों की स्वफुगी अंगीकार करते हैं, परन्तु आपके सिवा और किसी में इस समय ऐसी हिम्मत और उत्साह के दर्शन नहीं है। ते । आपके बहुत से भक्त होते हुए भी आपको भक्तों की ममता नहीं है ।
" आज पूज्य वर्ग में कुछ ऐसे भी हैं जो अपने मान सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए भाषकोंकी झूठी प्रशंसा, आदर, विनय आदि करते हैं, श्रावकों को खुश रखने की वृत्ति रखते हैं । परन्तु आप ऐसे दुर्गुण से मुक्त हैं, और सदा मुक्त ही रहेंगे ऐसी मुझे श्रद्धा है ।
" आप अपनी शक्तियों का अधिक से अधिक लाभ शासन को देते रहें । आज आपकी पंक्ति में आ सके ऐसा कोई नहीं है । आप मुझसे