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भागमेघरपरि
माहराजा के लिए मेघराजा प्रतिकूल न थे, परन्तु ये भागमाद्वारक, नामके धर्मराज उसे थका देनेवाले लगते थे। अतः माहराजा भी यहाँ गुप्त रूप में आ बसा था।
प्रवचनों की बौछार नीलपक्षी के समान नीलश्याम मेघराजा ने मुसलधार वर्षा की बौछार शुरू की, हंसपत्र सम धवल इस धर्मराजाने जिनवाणी की वी शुरू की। भ्रमरवत् श्याम मेघराजा सात आठ दिन बरस कर थक जाते, और कुछ दिन आराम करने चले जाते। परन्तु ये अक्षर उज्ज्वल प्रभावशाली धर्मराजा अविरामतः जिनवाणी की वर्षा करते जाते थे।
. धर्मराजा की बषी से भव्यों के पाप का पंक धुल जाता था, सम्यकत्व का बीजारोपण होता, देशविरति के अंकुर फूट निकलते और सर्वविरति की सुगंध महक उठती थी। - पर्वाधिराज पयूषण का पदार्पण हुआ। मोहमयी मानी जानेवाली बंबई नगरी भागमाद्वारक श्री क प्रताप से धर्ममयी नगरी बन गई। पर्वाधिराजका स्वागतपूर्वक आगमन हुआ और सम्मानपूर्वक बिदा भी। ६४. ... महराजा का षड्यन्त्र
मोहराजा ने देखा कि यह भागमाद्वारक नामक धर्मराजा बड़ा । शक्तिशाली है, और उसका सीधा मुकाबला करना कठिन है। धम राजा ने. इस समय आगमाद्धारक के शरीर में आ कर. वास किया है, अतः फिलहाल यही धर्मराजा-माना नाता है। यहाँ साम और