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आगमधरसरि . करना। आप इस भव में तथा परभव में मोक्ष के सहायक साधन पा कर मुक्ति प्राप्त करें यही शुभ कामना ।
विदा
इतना कह कर 'सर्व मंगल' किया गया, फिर भी गुरु-विरह के कारण सबकी आखों से अश्रु-धारा बह रही थी। सुबक सुबक कर रोने की आवाज भी सुनाई देती थी। आकाश में से अदृश्य-अश्राव्य चेतावनी आ रही थी कि इन पवित्र महात्मा- के पावन चरणों का पुनीत स्पर्श पुनः प्राप्त नहीं होगा। परन्तु रुदन की आवाज़ में किसी का उस पर ध्यान नहीं गया। पीछे मुड़ कर देखा तक नहीं। श्रावकगण जब तक अपने गुरुदेव के दर्शन हो सके तब तक वहीं खड़े रहे। जब गुरुदेव आँखों से ओझल हो गए तब वे मुख पर उदासी और नयनों में निराशा लिए अपने घर लौटे।
बम्बई के प्रिय मेहमान
विविध गावों और नगरे में विचरते हुए पूज्यपाद आगमाद्धारकजी वर्षावास के प्रारंभ में बंबई आ पहुँचे । बंबई के धर्मात्माओं ने भव्य प्रवेशोत्सव किया पूज्यश्री अपूर्व स्वागत के साथ उपाश्रय में आये । बंबई की धरती पर धर्म राजा का और आकाश में मेघराजा का साम्राज्य एक साथ शुरू हुआ। मेघराजा धरती को पानी से भिगो कर कोमल बना रहे थे, और धर्म राजा भव्य जीवों की हृदय-भूमि को जिमबाणी से प्रक्षालन कर निर्मल बना रहे थे। मे।हराजा के गुप्तचर बंबई आ बसे थे।