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आगमधरसरि
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३ का दिन सुवर्णाक्षरे से अंकित हो गये है। इस दिन की बरसगाठ मनाई जाती है, और प्रतिवर्ष इस रोज पूज्यश्री के प्रवर अनुरागी कस्तूरचंद झवेरच द चोकसी के सुपुत्र मातीचदभाई तथा पुत्रवधू जसवंती बहन की ओर से बृहत् शान्तिस्नात्र की जाती है। . , . .
सांप्रत-काल में सूरत के सुमध्य भाग में गुर्जरदेश की शान बढाता हुआ जिनशासन की जयपताका फहराता हुआ, पूज्य आगमो. द्वारकश्री की अद्वितीय ज्ञानशक्ति के सुदृढ नयनरम्य स्मारक के समान अलौकिक ताम्रपत्र-आगमंदिर गौरवगाथा का निर्मल दिव्य संगीत प्रवाहित कर रहा है।
स्थिरता
शास्रों में उल्लेख है कि 'साधु भगवत क्षीण घायल होने पर, अर्थात् विहार करने की शक्ति नष्ट होने पर स्थिर वास कर सकते हैं। परन्तु स्थिर वास में स्थानीय संघ की श्रद्धा भक्ति और भावना का विचार करना चाहिए । उद्वेग और अभाष (अनादर) मालूम हो तो उस स्थान पर नहीं रहना चाहिए।
बहुश्रुत पूज्य आगमाद्धारकश्री के प्रति सूरतवासियों की श्रद्धा, भक्ति और भावना के विषय में क्या पूछना ? सूरत शहर के कतिपय पुण्यवान् श्रावक अपना तन-मन-धन उनके चरणों में समर्पित करने में अपना सौभाग्य मानते थे। इतना ही नहीं, कुछ ही समय पूर्व पूज्यश्री के प्रताप से जिनधर्म प्राप्त करनेवाले क्षत्रिय-कुल-भूषण जेकिंशनदास वखारिया आदि भी ऐसी पुण्यमयी भावनावाले व्यक्ति थे जो अपने धर्मदाता गुरुदेव के चरणों में सर्वस्व न्योछावर कर दे।