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आगमधरसूरि
पर न चले जायँ, शासन को बदनाम करने अथवा शास्त्रोक्त वचने की अवगणना करने का पाप न कर बैठे । दयालु शासन रक्षकों के बहुत समझाने पर भी मोहराजा की मतिभ्रंशकारिणी मदिरा का आकंठ पान कर के होश खोये हुए इस भीड़ के लोगों ने बाल दीक्षा और देव द्रव्य का विरोध करने वाले निरर्थक प्रस्ताव पास कर लिए ।
हितचिंतक हृदय ये आत्मा भी महराजा का जोर घटने पर सचाई को समझेगे, सुबुद्धि पाएंगे। उन्हें सच्चा होश आएगा और वे अपना आत्मोद्धार करेंगे। ये आत्मा जितना जल्दी समझे उतना जल्दी उनका कल्याण होगा। उनका भला हो।
- विहार मुनियों के विहार का समय माया। श्री आगमाद्धारकजी ने मोहराजा का बडा सख़्त मुकाबला किया था। बहुत से भव्य आत्माओं का मोह-मदिरा पीने से रोका था, इस तरह संसार सागर के खारे पानीमें डूबने से बचाया था। जो लोग न बच सके उनकी भाव-दया का चिंतन करते थे।
श्री भागमाद्धारकजी के विहार की बातें सुनकर बहुत से धर्मात्माओं को दुःख होने लगा। सागर मर्यादा नहीं छोड़ता तो पू० सागरजी महाराज विहार-मर्यादा कैसे छोड़ सकते हैं?
बंबई के धर्मप्रेमी आत्माओं को पूज्य आगमोद्धारक जी के विहार का दुःख हुआ और विहार भी हुआ।